img-fluid

चीन के जाल में फंसता पाकिस्तान, ऐसी जगह बनाया सबसे महंगा एयरपोर्ट जहां न यात्री, न विमान…

February 24, 2025

नई दिल्ली. ‘ग्वादर एयरपोर्ट (gwadar airport) हमें चीन (China) ने तोहफे में दिया है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए…यह न केवल बलूचिस्तान (Balochistan) बल्कि पूरे पाकिस्तान (Pakistan) की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगा…’, जनवरी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने बलूचिस्तान के ग्वादर में बने एयरपोर्ट को लेकर बड़ी उम्मीदों के साथ ये बातें कही थीं. लेकिन पाकिस्तानी पीएम की इन उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. ग्वादर एयरपोर्ट का उद्घाटन तो हो गया है लेकिन वहां न तो विमान दिख रहे हैं और न ही कोई यात्री.

पाकिस्तान का सबसे नया और महंगा एयरपोर्ट जिसे चीन ने 24 करोड़ डॉलर में बनाया था, फिलहाल धूल फांक रहा है.

अक्टूबर 2024 में बनकर तैयार हुआ ग्वादर एयरपोर्ट पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है जो बेहद ही गरीब और अशांत इलाका है. चीन ने यह एयरपोर्ट पाकिस्तान के साथ हुए चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत बनाया है. अरबों डॉलर का यह प्रोजेक्ट चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को अरब सागर के जरिए पाकिस्तान से जोड़ेगा.

CPEC के तहत चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान और ग्वादर में इंफ्रास्ट्रक्चर पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है. पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि ग्वादर एयरपोर्ट गेमचेंजर साबित होगा लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही है. ग्वादर शहर नेशनल ग्रिड से नहीं जुड़ा है और यहां ईरान से बिजली आती है. स्थानीय लोग बिजली के लिए सौर ऊर्जा का भी इस्तेमाल करते हैं. शहर में साफ पानी की भी कमी है.

पाकिस्तान-चीन संबंधों के विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ अजीम खालिद का कहना है कि चीन ने यह एयरपोर्ट अपने नागरिकों की सुविधा के लिए बनाया है. समाचार एजेंसी एपी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह हवाई अड्डा पाकिस्तान या ग्वादर के लिए नहीं है. यह चीन के लिए है, ताकि वे अपने नागरिकों को ग्वादर और बलूचिस्तान तक सुरक्षित पहुंच प्रदान कर सकें.

एक तरफ सेना, दूसरी तरफ चरमपंथी, फंसकर रह गए बलूचिस्तान के लोग
बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न और रणनीतिक रूप से पाकिस्तान का बेहद अहम प्रांत है. इसे देखते हुए चीन ने यहां कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं जिसने दशकों से चल रहे विद्रोहों को और हवा दी है. बलूचिस्तान के अलगाववादी समूहों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार स्थानीय लोगों का शोषण करती है और वो आजादी के लिए लड़ रहे हैं. बलूचिस्तान के ये अलगाववादी पाकिस्तानी सैनिकों और चीनी इंजिनियरों… दोनों को निशाना बना रहे हैं.

बलूचिस्तान में रह रहे बलोच अल्पसंख्यकों का कहना है कि सरकार उनके साथ भेदभाव करती है और उन्हें नौकरियों में पर्याप्त हिस्सेदारी नहीं दी जाती है. उनका कहना है कि प्रांत के संसाधनों का दोहन किया जा रहा है और इसका लाभ उनके साथ नहीं बांटा जाता. हालांकि, सरकार इन आरोपों से इनकार करती है.

जब CPEC समझौता हुआ था तब बलूचिस्तान को “पाकिस्तान का दुबई” बनाने का वादा किया गया था. लेकिन स्थानीय लोगों में पाकिस्तानी सरकार और चीनी प्रोजेक्ट्स को लेकर भारी गुस्सा है. इन लोगों का चीन पर आरोप है कि “पाकिस्तान का दुबई” बनाने का वादा कर शहर को हाई सिक्योरिटी वाली जेल में बदल दिया गया है.

बलूचिस्तान में चीनी निवेश की रक्षा करने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने ग्वादर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है. शहर में पुलिस चौकियां, कंटीले तार, सेना, बैरिकेड और निगरानी टावरों का जमावड़ा है. चीनी इंजिनियरों और पाकिस्तानी वीआईपी के सुरक्षित आने-जाने के लिए सप्ताह में कई दिन किसी भी समय सड़कें बंद कर दी जाती हैं.

इससे स्थानीय लोग नाराज हैं. 76 साल के ग्वादर निवासी खुदा बख्श हशीम कहते हैं, ‘हमसे पहले कभी नहीं पूछा गया कि हम कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं या फिर हमारा नाम क्या है. हम पहले पहाड़ों में या फिर गांवों में रात भर पिकनिक का मजा लिया करते थे. लेकिन अब हमसे हमारी पहचानी मांगी जाती है कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं… हम यहीं के रहने वाले हैं…जो लोग हमसे हमारी पहचान पूछ रहे हैं उन्हें बताना चाहिए कि वो कौन हैं और कहां से आए हैं.’

हशीम कहते हैं कि ग्वादर में पहले कभी पानी की कमी नहीं होती थी और न ही यहां के लोग कभी भूखा सोते थे. लेकिन सूखा पड़ने और संसाधनों के दोहन की वजह से यहां का पानी सूख गया और इसके साथ रोजगार भी खत्म होता गया.

पाकिस्तान की सरकार का कहना है कि CPEC की वजह से 2 हजार स्थानीय नौकरियां पैदा हुई हैं लेकिन यह साफ नहीं है कि स्थानीय से सरकार का क्या मतलब है- बलूच निवासियों से या देश के दूसरे हिस्सों से आए पाकिस्तानियों से. अधिकारियों ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया है.

ग्वादर के लोगों और पाकिस्तान की सरकार के बीच बढ़ता अविश्वास
ग्वादर एयरपोर्ट बहुत पहले ही बनकर तैयार हो गया था लेकिन सुरक्षा चिंताओं के कारण इसके उद्घाटन में काफी देरी हुई. अधिकारियों को डर था कि चरमपंथी एयरपोर्ट पर हमला कर सकते हैं.

इसी डर की वजह से एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके चीनी समकक्ष वर्चुअल तरीक से शामिल हुए. उद्घाटन में मीडिया और आम लोगों को भी नहीं जाने दिया गया.

बलूचिस्तान अवामी पार्टी के जिला अध्यक्ष अब्दुल गफूर होथ ने कहा कि ग्वादर के एक भी निवासी को हवाई अड्डे पर काम करने के लिए नहीं रखा गया. वो कहते हैं, ‘यहां तक कि चौकीदार के तौर पर भी यहां के निवासियों को नहीं रखा गया है. दूसरी नौकरियों को भूल जाइए, इस एयरपोर्ट पर कितने बलूच लोग हैं, जिसे CPEC के तहत बनाया गया था.’

दिसंबर में, होथ ने ग्वादर में रहने की स्थिति को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था. प्रदर्शन 47 दिनों तक चला. अधिकारियों ने स्थानीय लोगों की बिजली और पानी की मांग को पूरा करने का वादा किया जिसके बाद प्रदर्शन खत्म हुए. लेकिन अब तक एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ खालिद ने कहा कि जब तक स्थानीय लोगों को नौकरियों में नहीं रखा जाता, CPEC से कोई लाभ नहीं मिल सकता. जैसे-जैसे चीनी का पैसा ग्वादर में आया, यहां का सुरक्षा तंत्र मजबूत हुआ जिसने बलोच लोगों और पाकिस्तानी सरकार के बीच के अविश्वास को और गहरा किया.

खालिद ने कहा, ‘पाकिस्तानी सरकार बलोच लोगों को कुछ भी देने को तैयार नहीं है और बलूच लोग सरकार से कुछ भी लेने को तैयार नहीं हैं.’

65 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट…चीनी कर्ज तले पूरी तरह दबा पाकिस्तान
CPEC चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)’ का सबसे अहम प्रोजेक्ट माना जाता है. पाकिस्तान-चीन के बीच 2015 में CPEC समझौता हुआ था जिसके तहत चीन ने पाकिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए 65 अरब डॉलर खर्च करने का वादा किया था. चीन के प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान को विकास की राह पर आगे ले जाने के बजाए उस पर कर्ज का बोझ बढ़ा रहे हैं.

2022 के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान पर चीन का 26.6 अरब डॉलर कर्ज है. यह कर्ज दुनिया के किसी भी देश पर सबसे अधिक विदेशी कर्ज है. चीन ने पाकिस्तान को ये कर्ज करीब 3.7% के ब्याज पर दिया है.

पाकिस्तान पर चीनी कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार घटता जा रहा है. नवंबर 2024 के आंकड़े के अनुसार, पाकिस्तान के पास महज 1.6133 करोड़ डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है. इन हालातों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान कभी चीन का कर्ज चुका पाएगा.

Share:

  • बांग्लादेश : एयरबेस पर अटैक, कॉक्स बाजार में सेना ने संभाला मोर्चा

    Mon Feb 24 , 2025
    ढाका. बांग्लादेश (Bangladesh) के कॉक्स बाजार (Cox’s Bazar) में एयर फोर्स बेस (Air Force Base) पर अज्ञात लोगों ने हमला किया. इस हमले में एक शख्स की मौत हो गई. हमले के बाद बांग्लादेश एयरफोर्स ने जवाबी कार्रवाई की. स्थानीय प्रशासन ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि एक शख्स इस हमले में […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved