
जिनेवा (Geneva)। राज्यसभा (Rajya Sabha) के उपसभापति (Deputy Chairman) हरिवंश नारायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) ने आंतकियों ( terrorist ) का समर्थन करने के लिए की आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) को नसीहत दी कि इस्लामाबाद को आंतकी कारखानों पर लगाम लगानी चाहिए, जो सीमा पार से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले करते हैं।
पाकिस्तान अपने लोगों की भलाई के अवश्य कोई कदम उठाएगा
जिनेवा में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 148वीं बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का आंतकियों को पनाह देने, सहायता करने और उनका समर्थन करने का लंबा इतिहास रहा है, जो आईपीयू सदस्य अच्छे से जानते हैं। आतंक का वैश्विक चेहरा ओसामा बिन लादेन, पाकिस्तान में पाया गया। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान अपने लोगों की भलाई के अवश्य कोई कदम उठाएगा। भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में सिंह ने कहा कि जिस देश का लोकतंत्र खुद खराब हो, उसके व्याख्यान हास्यास्पद हैं। पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर झूठी बातें नहीं करनी चाहिए।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र
सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि मैं, भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा की गई बेतुकी टिप्पणियों को खंडित करता हूं। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारा सौभाग्य है कि कई लोग भारतीय लोकतंत्र को अनुकरणीय मॉडल मानते हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी दुष्प्रचार इस तथ्य को नहीं झुठला सकता है।
पीएम मोदी भी साध चुके हैं निशाना
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक निजी कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर आड़े हाथ लिया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि ‘नया भारत’ आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता है, बल्कि मुंह तोड़ जवाब देता है। आतंकवाद से जुड़े लोगों को सबक सिखाने का ‘नया भारत’ दम रखता है। भारत पर आतंकी हमला कराने वालों का क्या हाल हो रहा है, ये दुनियाभर के लोग देख रहे हैं।
बालाकोट हवाई हमले का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि चाहे आतंकवाद को संरक्षण देने वाले लोग हो या प्रगति और शांति चाहने वाले देश, उन सभी ने बढ़ते भारत को अनुभव किया है। पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाला आतंकवाद द्विपक्षीय संबंधों में चिंता का विषय बना हुआ है। भारत ने हमेशा से पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने पर जोर दिया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान उच्च मुद्रास्फीति, घटते विदेशी भंडार, उच्च ऋण और अत्यधिक ईंधन की कीमतों के साथ एक चौंका देने वाले आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
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