
वाशिंगटन। पाकिस्तान (Pakistan) के वायुसेना प्रमुख (Air Force Chief) ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका दौरा (America tour) किया है। एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्दू ने पेंटागन, स्टेट डिपार्टमेंट और कैपिटल हिल में उच्च स्तरीय बैठकें कर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की। इस यात्रा से कुछ हफ्ते पहले ही पाक सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर (Pakistan Army Chief Field Marshal Asim Munir) ने अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump.) के साथ लंच किया था। इन घटनाओं ने पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में सुधार के संकेत दिए हैं। वहीं, भारत भी काफी करीब से इन नए समीकरण पर नजर बनाए हुए है।
पिछले एक दशक से अमेरिका का रणनीतिक झुकाव भारत की ओर अधिक रहा है। इंडो-पैसिफिक रणनीति और चीन के प्रभाव को संतुलित करने के दृष्टिकोण से अमेरिका भारत पर अधिक भरोसा करता रहा है। इसके विपरीत पाकिस्तान का चीन के साथ रक्षा और आर्थिक गठजोड़ मजबूत था। विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) अमेरिका के हितों से टकराता रहा है।
अब पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख का अमेरिका दौरा और वह भी क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक तथा भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की वाशिंगटन यात्रा से ठीक पहले हुई है। यह बहुत कुछ संकेत देता है।
एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा विश्लेषक के अनुसार, “यह दौरा केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि अमेरिका की बदलती प्राथमिकताओं और पाकिस्तान के साथ सुरक्षा सहयोग को फिर से परिभाषित करने का प्रयास है।”
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) के बढ़ते प्रभाव ने पाकिस्तान और अमेरिका दोनों को परेशान किया है। पाकिस्तानी सेना ने हाल के महीनों में IS-K के खिलाफ सैन्य अभियान तेज किया है, जिससे अमेरिका को फिर से पाकिस्तान की उपयोगिता दिखने लगी है। भौगोलिक दृष्टि से पाकिस्तान अफगानिस्तान, मध्य एशिया और ईरान से जुड़ने वाला एकमात्र स्थिर बिंदु है, जिसे अमेरिका ड्रोन बेस बनाने, खुफिया निगरानी और जॉइंट ऑपरेशनों के लिए पुनः उपयोग में ला सकता है।
भारत के लिए क्या है खतरे की घंटी?
– भारत लंबे समय से पाकिस्तान को रणनीतिक तौर पर अपने समकक्ष के रूप में देखे जाने का विरोध करता रहा है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को फिर से मंच देना भारत की कूटनीति के लिए चुनौती बन सकता है।
– अमेरिका के इस कदम को क्वाड देशों की एकजुटता को संतुलित करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। इससे भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रमुख भूमिका पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
– पाकिस्तान में बढ़ते चीनी निवेश और सीमा पर भारत-चीन तनाव की पृष्ठभूमि में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के साथ सामरिक समीकरण पुनः स्थापित करना भारत को दो मोर्चों पर रणनीतिक दबाव में डाल सकता है।
वायुसेना प्रमुख का यह दौरा भले ही सैन्य स्तर का हो, लेकिन यह साफ संकेत देता है कि अमेरिका अब पाकिस्तान को फिर से एक रणनीतिक खिलाड़ी के रूप में देख रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है भारत को अपनी राजनयिक सतर्कता और सामरिक तैयारी दोनों को तेज करना होगा ताकि क्षेत्रीय वर्चस्व को सुनिश्चित किया जा सके।
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