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पानी को लेकर तरस रहा पाक, इधर भारत ने बनाया खास प्लान; नए प्रोजेक्ट्स में स्टोरेज पर फोकस

June 12, 2025

नई दिल्‍ली । केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल (Union Energy Minister Manohar Lal)ने मंगलवार को बताया कि सरकार(Government) जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)में उन जलविद्युत परियोजनाओं(Hydroelectric projects) के लिए अधिक जल भंडारण की योजना बना रही है, जो अभी शुरुआती चरण में हैं। हालांकि, जो परियोजनाएं पहले से पाइपलाइन में हैं, उनके तकनीकी विवरण तय हो चुके हैं और उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

एक प्रेस वार्ता में मंत्री ने कहा, “जहां तक सिंधु जल संधि का सवाल है, जो परियोजनाएं पहले से पाइपलाइन में हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि उनके तकनीकी बिंदु पहले ही तय हो चुके हैं। लेकिन कुछ योजनाएं अभी शुरुआती स्तर पर हैं, जिनमें अधिक जल भंडारण और बिजली उत्पादन की योजना बनाई जा सकती है।”


यह निर्णय 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज के जल के उपयोग और वितरण को नियंत्रित करती है। इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली में बड़े जल भंडारण वाले हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर प्रतिबंध है। अब सरकार नए प्रोजेक्ट्स में भंडारण क्षमता बढ़ाने की संभावना पर विचार कर रही है।

चार बड़ी परियोजनाएं

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल जम्मू-कश्मीर में चार हाइड्रो प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जिन्हें केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अभी उनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। ये परियोजनाएं हैं:

न्यू गांदरबल (93 मेगावाट) – सिंध नाले पर
किर्थाई-II (930 मेगावाट) – चिनाब नदी पर
सवालकोट (1,856 मेगावाट) – चिनाब नदी पर
उरी-I स्टेज-II (240 मेगावाट) – झेलम नदी पर

इनमें से तीन में सीमित पोंडेज की सुविधा शामिल है, लेकिन सभी को रन-ऑफ-द-रिवर (नदी के बहाव पर आधारित) योजना के तहत विकसित किया गया है। CEA इस समय बर्सर स्टोरेज-बेस्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट (800 मेगावाट) पर भी सर्वे और जांच कर रहा है, जो चिनाब की सहायक नदी मरुसुदार पर प्रस्तावित है। इसके अलावा डुलहस्ती स्टेज-II (260 मेगावाट) और किर्थाई-I (390 मेगावाट) जैसी अन्य रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं की भी समीक्षा हो रही है।

CEA के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब भी 1,088 मेगावाट क्षमता की नौ हाइड्रो परियोजनाओं की संभावनाएं शेष हैं। इनमें से दो- गंगबल (48 मेगावाट) और वार्डवन बर्सर (255 मेगावाट) स्टोरेज आधारित होंगी, जबकि बाकी सभी रन-ऑफ-द-रिवर होंगी।

चिनाब पर तेजी से बन रहीं चार प्रमुख परियोजनाएं

केंद्र सरकार चिनाब नदी पर चार प्रमुख परियोजनाओं को तेजी से पूरा करना चाहती है। ये परियोजनाएं- पाकल दुल (1,000 मेगावाट), रैतल (850 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) हैं। पाकल दुल जम्मू-कश्मीर में बन रही पहली स्टोरेज-बेस्ड हाइड्रो परियोजना है, जिसकी 109 मिलियन क्यूबिक मीटर की जल भंडारण क्षमता होगी और इसके सितंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत का रुख

पहलगाम हमले के बाद औपचारिक रूप से पाकिस्तान को संधि को निलंबित करने का निर्णय सूचित किया था। इसके जवाब में, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को चार बार पत्र लिखकर संधि को बहाल करने की अपील की। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान “सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त” नहीं करता, तब तक संधि निलंबित रहेगी।

जल संकट से जूझ रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी प्रणाली उसकी कृषि और आर्थिक जरूरतों का आधार है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नदी प्रणाली पर उसकी 25% जीडीपी निर्भर है। पाकिस्तान इस संधि के निलंबन से हताश है, क्योंकि इससे उसकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। पाकिस्तानी नेताओं ने इसे “युद्ध का कार्य” तक करार दिया है, लेकिन भारत ने अपनी स्थिति दोहराई है कि संधि की समीक्षा और संशोधन की आवश्यकता है, क्योंकि 1960 की परिस्थितियां अब बदल चुकी हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साइबर हमलों से निपटने का दावा

प्रेस वार्ता में ऊर्जा मंत्री ने बताया कि हाल ही में चले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश के ऊर्जा क्षेत्र पर बड़ी संख्या में साइबर हमले हुए, लेकिन सभी हमलों को पहले से लगे फायरवॉल्स की मदद से निष्क्रिय कर दिया गया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बड़ी संख्या में सिस्टम पर साइबर हमले हुए। लेकिन हमने हर हमले का मुकाबला किया और कोई नुकसान नहीं होने दिया।” ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने भी बताया कि भारी मात्रा में दुर्भावनापूर्ण साइबर ट्रैफिक को फायरवॉल्स के जरिए रोका गया।

मंत्री ने यह भी कहा कि देश की साइबर सुरक्षा को हर स्तर पर मजबूत किया जा रहा है, चाहे वह उत्पादन हो, ट्रांसमिशन हो या वितरण प्रणाली। यहां तक कि जो उपकरण विदेशों से आयात किए जाते हैं, उनकी भी बारीकी से जांच की जा रही है क्योंकि किसी भी माध्यम से साइबर हमला हो सकता है।

भारत की रणनीति और भविष्य की योजनाएं

भारत सरकार ने सिंधु नदी बेसिन में जल के अधिकतम उपयोग के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। इनमें न केवल जलविद्युत परियोजनाएं, बल्कि सिंचाई और जल भंडारण योजनाएं भी शामिल हैं। सरकार ने ब्यास नदी से श्रीगंगानगर (राजस्थान) तक 130 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण की योजना बनाई है, जिसके पहले चरण को ढाई साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, सिंधु को यमुना से जोड़ने वाली एक नहर और जलाशयों की सफाई और डिसिल्टिंग के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने की योजना है।

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