इस्लामाबाद। पाकिस्तान से उपज रहे आतंकवाद (Terrorism) को लेकर भारत दशकों से दुनिया को चेताता आ रहा है। कई बार पाकिस्तान के अंदर से भी आतंकवादियों को वित्तपोषित (Terrorists-financed) करने की आवाज उठती रहती हैं। लेकिन इस बार पाकिस्तान के तथाकथित लोकतंत्र के सबसे बड़े मंच से यह आवाज उठी है। सर्वदलीय सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ नेता और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के प्रमुख मौलना फजल-उर-रहमान ने अपनी केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों पर आतंकवाद का वित्तपोषण करने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जबरन वसूली और उग्रवाद के कारण पाकिस्तान राज्य डूबता जा रहा है।
सर्वदलीय सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए मौलाना ने कहा, “खैबर पख्तूनख्वा से लेकर बलूचिस्तान और सिंध के कुछ हिस्सों में आतंकवादी समूह फल-फूल रहे हैं। इन क्षेत्रों पर सरकार का कोई वास्तविक नियंत्रण दिखाई नहीं देता है। संस्थाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं। आतंकवादियों ने कबायली इलाकों पर कब्जा कर लिया है, लोगों को सड़कों पर पर रोक रहे हैं, उनके पहचान पत्र की जांच की जा रही है और दिनदहाड़े नागरिक लूटे जा रहे हैं।”
सी-पैक भी नहीं सुरक्षित: मौलाना
मौलाना ने चीन के सहयोग से कर्ज लेकर बनाए गए सी-पैक कॉरिडोर को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि अब यह भी सुरक्षित है। हम इसे पाकिस्तान की आर्थिक जीवन रेखा मानते हैं लेकिन इस पर आतंकवादी घात लगाए बैठे रहते हैं और अकसर काफिलों पर हमला करते हैं।
मंत्रियों के एक-दूसरे पर आतंकवादी फंडिंग के आरोप
फजल की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है, जब आतंकवाद की फंडिंग को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्य मंत्री और पाकिस्तान के केंद्रीय गृहमंत्री ने एक-दूसरे के ऊपर जबरन वसूली और आतंकवादियों को फंड करने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों का बोल बाला नया नहीं है। अमेरिका की वरिष्ठ नेत्री हिलेरी क्लिंटन के शब्दों में कहें तो आप अपने घर में सांप पाल कर यह उम्मीद नहीं कर सकते की वह केवल पड़ोसी को काटेगा। भारत और अफगानिस्तान में दशकों से आतंक की घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में रहने वाला पाकिस्तान आज खुद ही आतंकवाद का दंश झेल रहा है। बलूचिस्तान से लेकर सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
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