
नई दिल्ली. लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का संस्थापक और 2008 मुंबई हमलों (Mumbai attacks) के मास्टरमाइंड (Mastermind) हाफिज मोहम्मद सईद (Hafiz Saeed) का करीबी सहयोगी बांग्लादेश में फिर सक्रिय हो गया है. पाकिस्तान की मार्काजी जमीअत अहल-ए-हदीस का महासचिव इब्तिसाम इलाही जहीर 25 अक्टूबर को ढाका पहुंचा. इसके बाद उसने भारत-बांग्लादेश सीमा के संवेदनशील इलाकों का दौरा किया. उसके भड़काऊ भाषणों और स्थानीय कट्टरपंथी तत्वों से नेटवर्किंग ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच उभरते खतरनाक गठजोड़ का संकेत हो सकता है जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को अस्थिर करने की साजिश रच रहा है.
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से ये इब्तिसाम इलाही जहीर की दूसरी यात्रा है. वह फरवरी 2025 में भी एक हफ्ते से ज्यादा वक्त के लिए बांग्लादेश आया था. इस बार वह 25 अक्टूबर को राजशाही के शाह मखदूम हवाई अड्डे पर उतरा, जहां उसे अल जामिया अस-सलीफा के सदस्य अब्दुर रहीम बिन अब्दुर रज्जाक ने स्वागत किया. ये संस्थान बांग्लादेशी अहल-ए-हदीस आंदोलन से जुड़ा एक इस्लामी अनुसंधान सेंटर है.
‘कुर्बानी के लिए रहना होगा तैयार’
जहीर ने 27 अक्टूबर को नौदपारा से चापाइनवाबगंज रवाना होकर शेख अब्दुल रज्जाक बिन यूसुफ के साथ भारत-बांग्लादेश सीमा के नाचोल जैसे इलाकों का दौरा किया, जहां उसने स्थानीय मस्जिदों में बैठक कीं. इंडिया टुडे/आजतक को मिले एक वीडियो में जहीर चापाइनवाबगंज में भड़काऊ भाषण देते दिख रहा है, जहां उसने कहा, ‘आपको इस्लाम के लिए खुद को कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए… अपने बच्चों को भी कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए. हमें धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी ताकतों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.’
‘धर्मनिरपेक्ष के खिलाफ एकजुट हों लोग’
उसने आगे कहा, ‘पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक सभी मुसलमान धर्मनिरपेक्ष लोगों के खिलाफ एकजुट होंगे.’ इलाही ने कश्मीर मुद्दे पर बोलते हुए कहा, ‘कश्मीरियों को उनकी आजादी से वंचित किया जा रहा है. भारतीय कश्मीर में इस्लाम विरोधी कानूनों और दमनकारी कृत्यों के खिलाफ मजबूत आवाज़ उठाना पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी है. अल्लाह की मेहरबानी से वह दिन ज़रूर आएगा जब कश्मीर हमारा हिस्सा बन जाएगा.’
भारत-बांग्लादेश सीमा पर जहीर की सक्रियता
सूत्रों से पता चला है कि ज़हीर 29 से 31 अक्टूबर तक रंगपुर, लालमोनिरहाट और नीलफामारी जैसे सीमावर्ती जिलों का दौरा करेगा. एक नवंबर को जयपुरहाट, 2 नवंबर को नागाओन में कार्यक्रम हैं. 6-7 नवंबर को राजशाही के डंगीपारा, पाबा उपजिले में होने वाले बड़े सलाफी सम्मेलन में वह मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य भाषण देगा. ये सम्मेलन अहले सुन्नत इस्लामी राजनीति ट्रस्ट बांग्लादेश द्वारा आयोजित है जो सुबह 9 बजे से शुरू होकर आस्र नमाज तक चलेगा. जहीर 8 नवंबर को पाकिस्तान लौटेगा.
इब्तिसाम इलाही ज़हीर ने पिछले दो दिनों में राजशाही और चापाइनवाबगंज का दौरा किया है. आने वाले 3-4 दिनों में रंगपुर डिवीजन के विभिन्न स्थानों पर जाने का कार्यक्रम है. ढाका के निब्रास इंटरनेशनल स्कूल में भी उसने एक कार्यक्रम में भाग लिया. बांग्लादेशी स्रोतों के मुताबिक, वह अहल-ए-हदीस मूवमेंट बांग्लादेश के अध्यक्ष असदुल्लाह अल गालिब से मिलने वाला है.
पुराना है नाता
इब्तिसाम इलाही ज़हीर का हाफिज सईद के साथ 24 वर्षों से अधिक पुराना संबंध रहा है. वह सईद के ब्रदर इन लॉ अब्दुल रहमान मक्की (अब मृत LeT आतंकी) और LeT सह-संस्थापक अमीर हामजा के साथ भी जुड़ा रहा है.
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिसंबर 2011 में जहीर ने सईद के साथ एक रैली में भाग लिया था, जहां सईद ने भारत के खिलाफ जिहाद का आह्वान किया गया था.
जाकिर नाइक से भी की थी मुलाकात
इसके अलावा ज़हीर का भगोड़े कट्टर उपदेशक जाकिर नाइक से भी करीबी संबंध है. अक्टूबर 2024 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान नाइक ने उससे मुलाकात की थी.
ज़हीर का अहल-ए-हदीस से जुड़ाव सलाफी नेटवर्क को दक्षिण एशिया में वैधता प्रदान करता है. उसकी बांग्लादेश यात्रा नवंबर के अंत में जाकिर नाइक की संभावित यात्रा के साथ मेल खाती है जो सीमावर्ती समुदायों में भर्ती और प्रचार को बढ़ावा दे सकती है. हालांकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अभी तक ज़हीर की यात्रा पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पर कड़ी नजर रख रही हैं.
अंतरिम सरकार ने खोले चरमपंथियों के लिए दरवाजे
वहीं, अगस्त 2024 में बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार के अपदस्थ होने के बाद बढ़े तनाव के बीच सामने आई रिपोर्ट से पता चलता है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेशी अंतरिम सरकार ने पहले से नियंत्रित चरमपंथी नेटवर्क के लिए रास्ते खोल दिए हैं.
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