इस्लामाबाद। बीते दिनों सरकारी एयरलाइंस (Pakistani government airlines) की सार्वजनिक नीलामी के बाद अब पाकिस्तान की सरकार बैंकों और होटलों (Pakistani banks and hotels) को भी बेचने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आर्थिक तंगी से जूझ रहे PAK के पास निजीकरण के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है और इस क्रम में शहबाज शरीफ की सरकार ने बैंक, होटल, बिजली कंपनियां, बीमा और यहां तक की रिटेल नेटवर्क तक को बेचने की योजना बना ली है।
पाकिस्तानी हुकूमत के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों को पूरा करने और डिफॉल्ट से बचने के लिए सरकार को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा है। पाकिस्तानी अफसरों ने तो यह तक कह दिया है कि स्थिति ‘करो या मरो’ जैसी बन गई है। न्यूज 18 की एक रिपोर्ट में सरकारी दस्तावेजों और कैबिनेट मीटिंग्स का हवाला देकर बताया गया है कि 2026 के अंत तक कई बड़े सरकारी आउटलेट प्राइवेट हाथों में सौंपे जा सकते हैं। इनमें बिजली वितरण कंपनियां, बैंक, होटल, इंश्योरेंस और एनर्जी सेक्टर शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक शरीफ सरकार ने निजीकरण के लिए अगले 12 महीनों में पांच बड़े सेक्टर चिन्हित किए हैं, जिसे अनौपचारिक तौर पर ‘एजेंडा-5’ का नाम दिया गया है। इनमें बिजली वितरण कंपनियां, बैंकिंग सेक्टर, होटल और रियल एस्टेट, एनर्जी जनरेशन कंपनियां और बीमा और रिटेल नेटवर्क के कुछ वर्टिकल शामिल हैं।
यह पूरा प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम पाकिस्तान के हाइब्रिड पॉलिटिकल सिस्टम के तहत चल रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की भूमिका अहम बताई जा रही है। हालांकि इस फैसले का पाकिस्तान में भारी विरोध भी हो रहा है। जहां समर्थकों का कहना है कि आर्थिक सुधार का यह इकलौता रास्ता है, वहीं दूसरी तरफ विरोधियों का आरोप है कि यह शहबाज शरीफ की सरकार की नाकामी दिखाती है। इसे देश की संप्रभुता से खिलवाड़ भी कहा जा रहा है।
पाकिस्तान की हालत खस्ता
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दिनों पाक को अपनी सरकारी एयरलाइंस, नेशनल एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की सार्वजनिक नीलामी करनी पड़ी। वहीं पाकिस्तान पर मौजूदा समय में करीब 131 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज है। हालात यह हैं कि सरकार रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए भी उधार ले रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की स्थिति अगर यही बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान में श्रीलंका जैसे हालात पैदा हो जाएं।
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