
डेस्क: पाकिस्तान (Pakistan) गाहे बगाहे सोशल मीडिया पर अपनी मिसाइल (Missile) ताकत और हथियारों (Weapons) का जखीरा डालकर शेखी बघराता रहता है और खुद को भारत (India) के बराबर पावरफुल दिखाना चाहता है, लेकिन हकीकत इससे कहीं उल्ट है. पाकिस्तान के वैज्ञानिक (Scientist) बैलेस्टिक मिसाइल नहीं बना पा रहे हैं. इस कारण प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर का सपना बार-बार टूट रहा है.
हाल ही में पाकिस्तानी वैज्ञानिकों ने मीडियम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल (MRBM) अबाबील का एक बार फिर टेस्ट किया, मगर यह टेस्ट नाकाम साबित हो गया. पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान भारत के हथियारों से मात खा गया था. भारत के आगे न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन और तुर्किए तक के डिफेंस सिस्टम और हथियार फिसड्डी साबित हुए थे. इसके बाद से ही पाकिस्तान में भारत का खौफ बढ़ता जा रहा है.
अबाबील ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल है, जिसकी रेंज करीब 2,000 किलोमीटर बताई जाती है. इसका पहली बार परीक्षण 2017 में किया गया था. इसमें MIRV तकनीक (Multiple Independent Re-entry)) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एकसाथ कई ठिकानों को तबाह करने की ताकत रखती है. पाकिस्तान का सपना बार-बार टूट रहा है, क्योंकि हालिया टेस्ट से पहले अक्टूबर 2023 में भी अबाबील का परीक्षण फेल हो गया था. सोशल मीडिया पर अबाबील के टेस्ट के दौरान उसका मलबा दिखाया जा रहा है और यह दावा किया जा रहा है कि यह परीक्षण फेल हो गया है.
IDRW वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक MIRV तकनीक इंटरकॉन्टिनेंट बैलेस्टिक मिसाइलों (ICBMs) के लिए काफी बेहतर मानी जाती है. आईसीबीएम की खूबी ये है कि ये 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है, जैसे भारत की अग्नि-5 मिसाइल जिसका मार्च, 2024 में टेस्ट काफी कामयाब रहा था. वहीं, इसकी नकल करने में पाकिस्तान बार-बार फेल हो रहा है.
पाकिस्तान अबाबील मिसाइल टेस्ट में बार-बार फेल होने के बाद भी ये दावे करता रहा है कि उसने मीडियम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया है. कई डिफेंस एक्सपर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा है कि पाकिस्तान के पास इंजीनियरिंग में काफी दिक्कतें हैं. सिस्टमैटिक इश्यू समेत पर्याप्त टेस्ट ढांचे का अभाव, विदेशी तकनीक खासतौर पर चीन पर निर्भरता और संसाधनों की कमी इस मामले में पाकिस्तान को कमजोर बनाती है.
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