लाहोर। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan) की तंगहाली छिपी हुई नहीं है। अब कर्ज तले डूबे इस मुल्क को लेकर हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नई रिपोर्ट में कुछ हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। IMF की इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली की असली वजह पर सीधी उंगली रख दी है। रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार, “एलीट कैप्चर” और सत्ता और कारोबार से जुड़े चुनिंदा हुक्मरानों के हाथों में नीतियों का केंद्रित होना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है।
IMF ने हाल ही में 186 पेज की ‘गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नॉस्टिक असेसमेंट (GCDA)’ रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में करप्शन बेहद भयावह में स्थिति है, जिससे बाजार की स्थिति खराब हो रही है, जनता का भरोसा टूट रहा है और सरकारी खजाना खाली होता जा रहा है।
IMF की रिपोर्ट में क्या?
रिपोर्ट के मुताबिक अगर पाकिस्तान अभिजात वर्गों को दे रहे विशेषाधिकार की नीतियों को खत्म कर दें, तो अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर सकती है। IMF के अनुमान के मुताबिक कुछ सुधारों से पांच साल में जीडीपी 5 से 6.5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। बता दें कि 2024 में पाकिस्तान की अनुमानित जीडीपी 340 अरब डॉलर थी।
रिपोर्ट इसीलिए भी अहम है कि क्योंकि पाकिस्तान दुनिया में सबसे ज्यादा बार IMF का दरवाजा खटखटाने वाला देश बन चुका है। पाक 1958 से अब तक 25 बार कर्ज की उम्मीद में IMF के पास पहुंच चुका है। हाल ही में पाक ने एक बार IMF बोर्ड के सामने गुहार लगाई थी और इसके तहत IMF अगले महीने 1.2 अरब डॉलर की नई किश्त मंजूर कर सकता है।
क्या है एलीट कैप्चर’?
IMF के मुताबिक पाकिस्तान में भ्रष्टाचार सिर्फ छोटे स्तर पर नहीं बल्कि बड़े स्तर पर मौजूद है, जहां शक्तिशाली संस्थाएं और लोग सरकारी नीतियों को अपने हित में मोड़ लेते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि विशेष लाभ, टैक्स छूट और सरकारी ठेकों तक खास पहुंच रखने वाला यह समूह हर साल अर्थव्यवस्था से अरबों डॉलर निकाल लेते हैं। 2021 में आई UNDP की रिपोर्ट में भी यह बताया गया था कि पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य एलीट को मिलने वाले आर्थिक फायदे देश की अर्थव्यवस्था के करीब 6 प्रतिशत के बराबर हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved