img-fluid

भारत में ‘शांति का पैगाम’ लेकर आना चाहते हैं पाक के मौलाना फजलुर, मुनीर को दी सीधी चुनौती

October 09, 2025

इस्लामाबाद । पाकिस्तान (Pakistan) की प्रमुख धार्मिक व राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (Jamiat Ulema-e-Islam) के सरगना मौलाना फजलुर रहमान (Maulana Fazlur Rahman) भारत की यात्रा पर आने की इच्छा जता रहे हैं। उनका उद्देश्य भारत को ‘शांति का पैगाम’ पहुंचाना है। यह खुलासा पार्टी के करीबी सहयोगी और सांसद कमरान मुरतजा ने पाकिस्तानी चैनल ‘आज न्यूज’ को दिए एक इंटव्यू में किया।

पाकिस्तानी सांसद कमरान मुरतजा ने बताया कि मौलाना फजलुर रहमान ने हाल ही में एक भारतीय राजनयिक को व्यक्तिगत रूप से शांति का संदेश सौंपा था। उन्होंने कहा, “मौलाना साहब भारत जाना चाहते हैं ताकि दोनों देशों के बीच शांति की अपील की जा सके। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक कदम होगी।” मुरतजा ने यह भी कहा कि मौलाना रहमान ने 2002 और 2003 में भी भारत का दौरा किया था, जब दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण थे। उस समय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की थी और शांति प्रक्रिया का समर्थन किया था। बता दें कि मौलाना फजलुर रहमान प्रमुख इस्लामी विद्वान और पाकिस्तान की संसद में विपक्ष के पूर्व नेता हैं।



आंतरिक दरारों के बीच नई पहल

सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य व्यवस्था में आंतरिक दरारें गहराती जा रही हैं- खासकर पंजाबी और पश्तून वर्गों के बीच तनाव बढ़ रहा है। सूत्रों ने बताया कि मौलाना का यह “शांति संदेश” खुद को एक क्षेत्रीय शांति दूत के रूप में पेश करने की कोशिश है, वो भी ऐसे समय में जब भारत-पाक रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं।
पश्तून असंतोष की आवाज

डेरा इस्माइल खान के रहने वाले मौलाना फजलुर रहमान पश्तून समुदाय से आते हैं और उन्होंने हाल के महीनों में खुद को पश्तून असंतोष की राजनीतिक आवाज के रूप में पेश किया है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह घटनाक्रम पाकिस्तान के भीतर बढ़ती जातीय असंतुष्टि से गहराई से जुड़ा है। कई पश्तून मूल के राजनेता और सेना अधिकारी जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व में खुद को हाशिये पर धकेले जाने से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।

सेना में बढ़ता मतभेद

पाकिस्तान की सत्ता संरचना में एक “शांत लेकिन गहरी दरार” उभर रही है। पंजाबी प्रभुत्व वाले सेना नेतृत्व और उपेक्षित पश्तून गुटों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई के कुछ मध्य-स्तरीय व सेवानिवृत्त पश्तून अधिकारी मौलाना के “अमन नैरेटिव” को समर्थन दे रहे हैं। वे इसे जनरल मुनीर के बढ़ते प्रभाव के संतुलन के रूप में देखते हैं।

भारत यात्रा के संकेत

मौलाना की भारत यात्रा की इच्छा कई उद्देश्यों को साधने की कोशिश हो सकती है। एक ओर यह नई दिल्ली की प्रतिक्रिया परखने का माध्यम हो सकती है, तो दूसरी ओर यह इस्लामाबाद में मौजूदा सत्ता समीकरणों को चुनौती देने का प्रतीक भी होगी। मौलाना की पहल को सेना की कठोर नीति के विपरीत “जनकेंद्रित” और “नरम” दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है। सीनेटर कमरान मुर्तजा ने बताया कि मौलाना पहले भी भारत आ चुके हैं- 2002 और 2003 में, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण थे। उन दौरों के दौरान उन्होंने बाल ठाकरे समेत एनडीए सरकार के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी, और संवाद की दिशा में पहल की थी। खुफिया सूत्रों ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से जुड़े कई अधिकारी भारत के प्रति बढ़ते आक्रामक रुख का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि बढ़ती दुश्मनी सीमा इलाकों में अस्थिरता और गरीबी को और गहरा कर रही है।

Share:

  • पूर्व पुलिस कमिश्नर ने की CJI गवई पर जूता फेंकने वाले राकेश किशोर की तारीफ, बोले- हिम्मत की दाद देता हूं

    Thu Oct 9 , 2025
    नई दिल्‍ली । बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त और भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता भास्कर राव (Bhaskar Rao) ने CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई (Chief Justice B R Gavai) की ओर जूता उछालने वाले अधिवक्ता राकेश किशोर (Advocate Rakesh Kishore) की प्रशंसा की है। हालांकि, आलोचना होने के बाद राव ने […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved