
नई दिल्ली । उत्तराखंड (Uttarakhand) के गांवों (Villages) में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) की धूम मची हुई है। गांव का भावी जनप्रतिनिधि बनने के लिए दावेदारों ने पूरा जोर लगाया हुआ है। वहीं नैनीताल जिले (Nainital district) के जमरानी क्षेत्र के 213 परिवार गांव की नई सरकार चुनने के बाद पलायन करने की तैयारी कर रहे हैं। यहां बनाए जा रहे बांध के डूब क्षेत्र में उनके मकान और जमीन आने से ग्रामीणों का विस्थापन किया जाना है।
गौला नदी के अपर स्ट्रीम में पेयजल और सिंचाई के लिए जरूरी जमरानी बांध का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण के लिए प्रस्तावित जगह से नदी के बहाव का रुख बदला जाना है। इसके लिए नदी के छोर पर 650 और 750 मीटर की दो टनल बनाई जा रही हैं। इसके साथ ही बांध से प्रभावित हो रहे क्षेत्र की चार पंचायतों में अभी चुनाव का माहौल बना हुआ है। बांध के निर्माण के बाद 213 परिवारों के खेत और मकान पूरी तरह से डूब जाएंगे। यह परिवार इस बार अपने मूल गांव में आखिरी बार मतदान करेंगे। उन्हें किच्छा के नजदीक प्राग फार्म में बसाया जाना है। इसके लिए मास्टर प्लान में जगह चिह्नित कर सिंचाई विभाग की जमरानी परियोजना इकाई ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
इन पंचायतों के लिए हो रहा चुनाव
जमरानी बांध के निर्माण से क्षेत्र के छह राजस्व गांव प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित गांव चार पंचायत पनियाबोर, पस्तोला, उड़वा और हैड़ाखान में शामिल हैं। इन पंचायतों में शामिल 213 परिवारों का पूरी तरह से विस्थापन किया जाना है। इसके बाद ये परिवार इन पंचायतों का हिस्सा नहीं रहेंगे।
बुजुर्ग दंपति भी करेंगे मतदान
मरकुडिया के बुजुर्ग दंपति दीवान सिंह संभल और केसरी देवी अपने पुश्तैनी गांव की सरकार चुनने के लिए इस बार आखिरी बार मतदान करने जा रहे हैं। बातचीत में बताया कि मतदान करने की उम्र होने के बाद गांव से ही राज्य और देश की सरकार चुनी है। अब मतदान संग ही गांव छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
पहली बार मतदान के साथ गांव छोड़ने का दर्द
पहली बार मतदान में भाग लेने जा रहे युवा पंकज का चुनाव को लेकर उत्साह बना हुआ है। लेकिन इसके बाद अपने खेत खलियान और खेल मैदानों को छोड़ने का दर्द भी सता रहा है। बताया कि विकास के लिए बांध जरूरी है, इसके लिए सैकड़ों परिवारों को अपना मूल गांव छोड़ना पड़ रहा है।
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