
भोपाल। प्रदेश में बिजली लाइनों के रखरखाव और निगरानी व्यवस्था में पहली बार ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल बिजली कंपनी करने जा रही है। जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य सर्किल में लगे 10,000 बिजली टावरों की पहले चरण में पेट्रोलिंग ड्रोन से होगी। 5 हजार टावर केवल जबलपुर सर्किल के शामिल हैं। शेष टावर इंदौर और भोपाल सर्किल के बताए जाते हैं। ट्रांसमिशन कंपनी ने सभी आवश्यक व्यवस्थाएं शुरू कर दी हैं। इसमें से अधिकांश टावर दुर्गम क्षेत्रों में लगे हुए हैं। जिनकी निगरानी में बिजली कंपनी को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। सूत्रों के अनुसार एमपी ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से ड्रोन तकनीक शुरू करने के लिए ग्लोबल स्तर पर निविदाएं बुलाई गई। जिसमें 16 कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है। इसमें से तीन कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। मार्च तक सभी 10 हजार टावरों की पेट्रोलिंग, मैंटेनेंस आदि का कार्य पूरा होगा।
ट्रांसमिशन कंपनी 200 केवी की लाइन से इसकी शुरुआत करेगी। यह बिजली लाइन 2600 किलोमीटर लंबी है जो कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रतलाम आदि क्षेत्रों को टच करती है। इन लाइनों के साथ लगे टावरों की निगरानी 12 ड्रोन कैमरो से की जाएगी। लाइनों की फोटोग्राफी के साथ ही वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। तकनीक को लेकर कंपनी के चेयरमेन संजय दुबे विशेष रुचि ले रहे हैं।
यह होगा फायदा
जानकारों के अनुसार नदी, जंगल, तराई वाले क्षेत्रों में आसानी से लाइनों का दुरस्तीकरण किया जा सकेगा। इससे बिजली के अनायस होने वाले ब्रेकडाउन में कमी आएगी। वही प्रोडक्टिव मेंटेनेंस में भी फायदा मिलेगा। ड्रोन तकनीक से आने वाले डाटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से संग्रहण करने के साथ ही बारीक से बारीक फाल्ट को भी दुरुस्त किया जा सकेगा।
इनका कहना है
बिजली लाइनों और टावरों का रखरखाव ड्रोन तकनीक के माध्यम से शुरू करने जा रहे हैं। इसका एक ट्रायल कर इसे परखा गया था जो कि आशानुरूप रहा है। अब हम 200 केवी लाइनों के मैंटेनेंस में इसका उपयोग शुरू कर रहे हैं। कंपनियों को शार्ट लिस्ट किया जा रहा है।
इंजी. आरएस बघेल, सीई ट्रांसको
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