
इंदौर। कांग्रेस हाईकमान के पास दिल्ली में इंदौर को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की शिकायतों का हल्ला मच गया है। इंदौर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दावेदार 7 प्रत्याशियों द्वारा दिल्ली में शिकायत पहुंचाई गई है। गुरुवार को कांग्रेस नेत्री शोभा ओझा के निवास पर जीतू पटवारी द्वारा इंदौर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के पांच दावेदारों के साथ जो मीटिंग की गई उससे कांग्रेस में माहौल गर्मा गया है। इस मीटिंग में प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा भी मौजूद थे। मीटिंग में जो बातचीत हुई उसका बहुत सारा किस्सा कांग्रेस के नेताओं के कानों तक पहुंच गया है। इन नेताओं को यह संदेश मिला है कि इस बैठक में पटवारी ने इंदौर शहर अध्यक्ष को लेकर फिक्सिंग करने की कोशिश की है। यह कोशिश कांग्रेस हाईकमान द्वारा शुरू किए गए नवसृजन अभियान के खिलाफ है। इस बैठक में अध्यक्ष पद के दावेदारों में से राजू भदौरिया, दीपू यादव, अमन बजाज, सुरजीतसिंह चड्ढा और अरविंद बागड़ी को बुलाया गया था।
ऐसी स्थिति में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दावेदार देवेंद्रसिंह यादव, अश्विन जोशी, विनय बाकलीवाल, सनी राजपाल सहित सात नेताओं द्वारा इस बारे में दिल्ली शिकायत की गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और मध्यप्रदेश के प्रभारी हरीश चौधरी को मेल करते हुए शिकायत पहुंचाई गई है। जब से कांग्रेस द्वारा मध्यप्रदेश में नवसृजन अभियान शुरू किया गया है, तब से ही यह सवाल प्रमुखता के साथ उठ रहा है कि क्या ईमानदारी से यह अभियान मध्यप्रदेश में चलाया जा सकेगा? यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि प्रदेश के नेता इंदौर जैसे प्रमुख शहर में अपने समर्थक को ही अध्यक्ष पद दिलवाना चाहते हैं।
नवसृजन अभियान के तहत दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक के सामने हर दावेदार ने अपनी ताकत लगाने की कोशिश की। अधिक से अधिक स्थानों से अपने नाम को पर्यवेक्षक के कानोंं तक पहुंचाया। हाल ही में इस नवसृजन अभियान के तहत गुजरात में जो जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है उसमें जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके अनुसार किसी भी बड़े से बड़े नेता की नहीं चली और ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर नियुक्ति की गई है। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद से मध्यप्रदेश के कांग्रेस के नेता ज्यादा ताकत के साथ सक्रिय हो गए हैं। ऐसी स्थिति में इंदौर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के दावेदारों में जो दावेदार आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा सक्षम नहीं हैं और जिन पर किसी नेता का एकतरफा वरदहस्त भी नहीं है, ऐसे नेता अपनी ताकत ज्यादा जोर से लगा रहे हैं। इसके साथ ही आर्थिक रूप से सक्षम और किसी बड़े नेता का खास कहे जाने वाले नेता भी ताकत लगा रहे हैं, ताकि कहीं गुजरात जैसा मध्यप्रदेश में भी नहीं हो जाए।
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