
तीन माह से मेडिकल कॉलेज में धूल खा रही है 10 सोनोग्राफी मशीन
रजिस्ट्रेशन के इंतजार में बेकार पड़ी है मशीन है ,मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ
इंदौर। महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग (Department of Radiology, Mahatma Gandhi Memorial Medical College) में महीनों से दस सोनोग्राफी मशीनें बेकार पड़ी हैं, जिससे सैकड़ों मरीजों को परेशानी हो रही है। गंभीर मरीजों के स्क्रीनिंग के लिए बुलाई गई लेकिन अब तक रजिस्ट्रेशन ही पूरा नहीं हुआ।
जनवरी में मेडिकल कॉलेज में 10 सोनोग्राफी मशीनें मरीजों को इलाज मुहैया कराने के लिए बुलाई गई लेकिन दो विभागों के बीच फंसी फाइल के चलते धूल खा रही हैं। ये मशीनें प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स सेल और तकनीकी पंजीकरण के चलते महीनों से इंस्टालेशन का इंतजार कर रही हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार दो विभागों के बीच अधिकारियों के चलते मामला उलझा हुआ है। ज्ञात हो कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 में सोनोग्राफी मशीनों के साथ हर सुविधा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। एमजीएम के डीन डॉ संजय दीक्षित ने बताया कि विभाग पीसीपीएनडीटी सेल के साथ पंजीकरण का इंतजार कर रहा है और इसलिए मशीनें नहीं लगाई जा सकीं है। रजिस्ट्रेशन होते हैं, मशीनों को स्थापित करने की प्रक्रिया की जाएगी और इसे बहुत जल्द स्थापित कर दिया जाएगा।
गंभीर बीमारियों से लेकर कैंसर में लाभ
गंभीर बीमारियों को जल्दी डिटेक्ट करने के लिए सोनोग्राफी मशीनों का भी प्रयोग किया जाने लगा है । सोनोग्राफी याअल्ट्रासाउंड मशीन जांच कर शरीर के अंदर की इमेज बनाती है, ताकि शरीर के अंदर के अंगों की जांच की जा सके। मशीन के माध्यम से उच्च-आवृत्ति ध्वनि तरंगें भेजती है, जो शरीर की संरचनाओं को दर्शाती है और यदि गंभीर बीमारी हो तो वह जल्दी डिटेक्ट कर लेते हैं । एक्स-रे या सीटी स्कैन के परीक्षण की तुलना में इसमें आयनकारी विकिरण का उपयोग नहीं होता है, जिससे यह सुरक्षित होती है। इसका उपयोग कई बीमारियों जैसे प्रोस्टेट, पेट की समस्या, गर्भवती महिलाओं की जांच, अपेंडिक्स, फेफड़ों के रोगों और अन्य की पहचान के लिए किया जाता है। ज्ञात हो कि आईसीयू में भी हार्ट अटैक के मरीज और अन्य मरीजों को जल्दी लाभ पहुंचाने के लिए सोनोग्राफी मशीन इंस्टॉल की जा रही हैं।
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