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सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा पेगासस जासूसी केस, सॉफ्टवेयर की खरीद पर रोक लगाने की मांग

July 22, 2021

नई दिल्ली। पेगासस (Pegasus case) के जरिए भारत में विपक्षी नेताओं और पत्रकारों की कथित तौर पर जासूसी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच चुका है। वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस पूरे मामले की एसआईटी (Special Investigation Team) द्वारा जांच की मांग की है। इसके साथ ही भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर (Pegasus Spyware) की खरीद पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एसआईटी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए।

संसद के मानसून सत्र से पहले पेगासस जासूसी मामला सामने आने के बाद से विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हो गया है। कांग्रेस इस पूरे मामले की जांच संयुक्‍त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग कर रही है। वहीं सरकार इस जासूसी के मामले को संसद में भी खारिज कर चुकी है। बता दें कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजरायल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक जज सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।

सरकार ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सरकार ने ‘जांचकर्ता, अभियोजक और ज्यूरी की भूमिका’ निभाने के प्रयास संबंधी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया



रिपोर्ट को भारत के न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के साथ-साथ वाशिंगटन पोस्ट, द गार्डियन और ले मोंडे सहित 16 अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने पेरिस के मीडिया गैर-लाभकारी संगठन फॉरबिडन स्टोरीज और राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा की गई एक जांच के लिए मीडिया पार्टनर के रूप में प्रकाशित किया है। यह जांच दुनिया भर से 50,000 से अधिक फोन नंबरों की लीक हुई सूची पर आधारित है और माना जाता है कि इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से संभवतया इनकी हैकिंग की गई है।

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