
नई दिल्ली । अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) की हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर चीन (China) का दावा बीजिंग (Beijing) के कोर इंटरेस्ट्स का हिस्सा है। चीन अपने ‘मुख्य हितों’ में ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और अरुणाचल प्रदेश से जुड़े दावों को भी शामिल मानता है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन की राष्ट्रीय रणनीति का लक्ष्य 2049 तक देश को ‘सबसे शक्तिशाली’ बनाना है। इसके तहत वह एक मजबूत और विश्वस्तरीय सेना तैयार करना चाहता है और अपनी संप्रभुता व क्षेत्रीय दावों की रक्षा पर जोर देता है।
अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट ‘पीपुल्स रिपब्लिक चाइना से जुड़े सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रम 2025’ में भारत-चीन सीमा विवाद के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रणनीतिक व सैन्य सहयोग को भी रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन संभवतः एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव में आई कमी का लाभ उठाकर भारत के साथ संबंधों को स्थिर करना चाहता है, ताकि अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को और गहराने से रोका जा सके।
पेंटागन के अनुसार, अक्टूबर 2024 में भारत और चीन ने एलएसी पर बचे हुए गतिरोध वाले क्षेत्रों से पीछे हटने पर सहमति जताई थी, जो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से ठीक दो दिन पहले हुई थी। इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच मासिक उच्च-स्तरीय संवाद की शुरुआत हुई।
हालांकि रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि भारत चीन के इरादों को लेकर सतर्क बना हुआ है। इसमें कहा गया है कि पारस्परिक अविश्वास और अन्य विवादास्पद मुद्दे द्विपक्षीय रिश्तों को सीमित करते रहेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि पेंटागन की यह रिपोर्ट अरुणाचल प्रदेश पर भारत की संप्रभुता को लेकर चीन की आक्रामक सोच और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी व्यापक रणनीति को एक बार फिर उजागर करती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, चीन-पाकिस्तान के बीच रक्षा क्षेत्र में गहरा सहयोग है। दोनों ने जेएफ-17 लड़ाकू विमान संयुक्त रूप से बनाए हैं। मई 2025 तक चीन पाकिस्तान को जे-10सी के 20 विमान दे चुका था। आने वाले वर्षों में चीन अपने नौसैनिक हथियारों और जहाजों के निर्यात को और बढ़ा सकता है।
पाक में सैन्य ठिकाना बना सकता है चीन
रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सेना दुनिया के कई हिस्सों में नए सैन्य ठिकानों की योजना पर काम कर रही है। इन ठिकानों का मकसद नौसेना और वायुसेना की पहुंच बढ़ाना है। पाकिस्तान उन देशों में शामिल है, जहां चीन ने सैन्य ठिकाना बनाने पर विचार किया हो सकता है।
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