
जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former Chief Minister Ashok Gehlot) ने कहा कि राजस्थान सरकार के सरप्लस बिजली के खोखले दावों से (By the hollow claims of Surplus Electricity of Rajasthan Government) जनता त्रस्त है (People are Troubled) । उन्होंने इसे सीधे तौर पर भजनलाल सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम बताया ।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में अक्सर बिजली प्रबंधन की सराहना होती रही है, लेकिन मौजूदा स्थिति को लेकर आम जनता में भारी नाराजगी है। बिजली कटौती से त्रस्त आमजन के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि एक ओर सरकार ‘बिजली सरप्लस’ होने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हें घंटों बिजली गुल होने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
गहलोत का कहना है कि ‘सरप्लस’ होने के बावजूद बिजली कटौती का सीधा अर्थ यह है कि राजस्थान में बिजली वितरण का ढांचा चरमरा गया है। बिजली उत्पादन पर्याप्त हो सकता है, लेकिन यदि उसे उपभोक्ताओं तक सही तरीके से पहुँचाने और वितरित करने की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है, तो ‘सरप्लस’ का दावा निरर्थक हो जाता है। ट्रांसफार्मर खराब होना, तारों का पुराना होना, और उचित रखरखाव का अभाव जैसे मुद्दे वितरण प्रणाली की कमजोरी को दर्शाते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा, “तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।” यह पंक्ति मौजूदा सरकार के उन दावों पर सीधा हमला है जो धरातल पर सच नहीं लगते।
गहलोत ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी हो रही है। बिजली कटौती से कृषि कार्य, छोटे व्यापार और घरेलू जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी के इस मौसम में बच्चों और बुजुर्गों के लिए बिजली के बिना रहना और भी मुश्किल हो गया है। सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि उसके ‘सरप्लस’ के दावे जनता को वास्तविक राहत प्रदान करें।
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