
नई दिल्ली। सरकार (Government) जीएसटी व्यवस्था (GST system) में बड़ा बदलाव करने जा रही है। sin and demerit goods पर विशेष 40% टैक्स लगाने की तैयारी है। इसमें पान मसाला, तंबाकू, सिगरेट, लग्जरी कारों और ऑनलाइन गेमिंग को शामिल किया जा सकता है। राजस्व विभाग ने इन्हें देश के “सामाजिक मूल्यों” के आधार पर इस श्रेणी में रखा है।
कंपनियों में हड़कंप, पहले से है 28% टैक्स का विरोध
अगर यह फैसला लागू हुआ, तो फैंटेसी स्पोर्ट्स और रियल-मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को भारी झटका लगेगा। पहले ही इन कंपनियों ने 28% जीएसटी पर आपत्ति जताई थी। एक खबर के मुताबिक सरकार को चिंता है कि यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स पर बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं और गेम के दौरान बिना सहमति पैसे काटे जा रहे हैं।
सरकार को मिलेगा फायदा
जीएसटी काउंसिल द्वारा 40% दर सुझाए जाने से केंद्र और राज्य सरकारों को आर्थिक लाभ मिलेगा। पिछले साल अक्टूबर में 28% टैक्स लगने के बाद भी इस सेक्टर की मांग कम नहीं हुई, जिससे पता चलता है कि यूजर्स टैक्स बढ़ने पर भी गेम खेलना नहीं छोड़ते।
पिछले टैक्स बढ़ोतरी से राजस्व में 412% छलांग
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लागू होने के बाद महज 6 महीने में राजस्व 412% बढ़ा (1,349 करोड़ से 6,909 करोड़)। कैसीनो से आमदनी भी 30% बढ़ी।
हर महीने 10,000 करोड़ खर्च
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने खुलासा किया कि भारतीय हर महीने ऑनलाइन गेमिंग पर औसतन 10,000 करोड़ रुपये खर्च करते हैं। यह सालाना 1.2 लाख करोड़ बैठता है। यह डेटा NPCI के UPI लेनदेन से सामने आया है। नीति निर्माताओं को चिंता है कि यूजर्स ज्यादा समय और पैसा गेमिंग पर बर्बाद कर रहे हैं।
सख्त KYC नियम भी लागू हो सकते हैं
सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को आतंकवाद विरोधी कानूनों (PMLA) के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। इसमें KYC जरूरी करने और संदिग्ध लेनदेन पर नजर रखने जैसे प्रावधान शामिल होंगे।
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