
नई दिल्ली/लखनऊ । देश में एफडीआई (FDI) उल्लंघन को लेकर विवाद का सामना कर रही चीनी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (Chinese e-commerce Platform) शॉपी (Shopee) पर लखनऊ में एक ग्राहक द्वारा कथित तौर पर धोखाधड़ी (Fraud) करने की प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई गई (Files) है। 15 जनवरी को लखनऊ के मोहनलालगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी में शिकायतकर्ता शशांक शेखर सिंह ने कहा कि उसने 10 दिसंबर को शोपी से ऑनलाइन प्रोडक्ट मंगवाए थे, लेकिन उसे जो मिला, वह नकली प्रोडक्ट था।
एफआईआर में शॉपी, उसकी मूल कंपनी बेंगलुरु स्थित एसपीपीआईएन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों का नाम है। सिंह के मुताबिक, उसने शोपी से 840 रुपये, 399 रुपये और 1,299 रुपये के तीन प्रोडक्ट मंगवाए। उन्हें जो मिला वह प्लेटफॉर्म पर दिखाए गए प्रोडक्ट नहीं थे, बल्कि नकली वेरिएंट थे, जिसमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया गया। पिछले महीने, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से शोपी पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था, जिसका दावा था कि भारत में फेमा नियमों और 2020 के एफडीआई प्रेस नोट के खिलाफ काम कर रहा था। कैट ने चीनी ई-कॉमर्स कंपनी शोपी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
पत्र में व्यापारियों के निकाय ने दावा किया कि शॉपी एक चीनी ई-कॉमर्स दिग्गज है, जिसने भारत में एक इकाई, एसपीपीआईएन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अपना संचालन शुरू किया। यह दो होल्डिंग कंपनियों, एसपीपीआईएन वन प्राइवेट लिमिटेड और एसपीपीआईएन टु प्राइवेट लिमिटेड के पास है, दोनों सिंगापुर में रजिस्टर्ड हैं।कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने पत्र में लिखा, “ये दो संस्थाएं, केमैन आइलैंड्स में पंजीकृत एक अन्य मूल कंपनी एसपीपीआईएन लिमिटेड के पास हैं। संस्थाओं की यह जटिल संरचना भारत सरकार को धोखा देने और चीनी फंड को भारत में डालने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है।”
व्यापारियों के निकाय ने शॉपी पर ‘शिकारी मूल्य निर्धारण रणनीति’ अपनाने का भी आरोप लगाया, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा विकृत हो गई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवंबर में केंद्र से शॉपी के नाम से एसपीपीआईएन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित ई-कॉमर्स वेबसाइटों और मोबाइल ऐप को ब्लॉक करने की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा था।
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