
अजमेर । अजमेर शरीफ दरगाह मामले (Ajmer Sharif Dargah case) में शुक्रवार को 6 और याचिकाएं (Petitions) कोर्ट में दाखिल की गईं। अब इस मामले में पक्षकार बनाने के लिए दाखिल याचिकाओं की संख्या 11 हो गई हैं। शुक्रवार को हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता (vishnu gupta) ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया।
शुक्रवार को अजमेर की एक अदालत में उस याचिका में पक्ष बनने के लिए 6 और याचिका दायर की गई, जिसमें दावा किया गया है कि 13वीं सदी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। इससे पहले मामले में पक्षकार बनने के लिए 5 याचिका दायर की गई थी, जिससे याचिकाओं की संख्या 11 हो गई है। कोर्ट अब इस मामले पर 1 मार्च को सुनवाई करेगा।
दरअसल, हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। ऐसे में मंदिर का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। अदालत ने 27 नवंबर को याचिका स्वीकार कर ली थी और अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कार्यालय नई दिल्ली को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने पत्रकारों से कहा, “हमने पिछले आवेदनों पर अदालत के समक्ष अपना जवाब पेश कर दिया है। याचिका को खारिज करने के लिए आवेदन दायर किए गए थे। हमने नए आवेदनों पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। अब अदालत इस मामले पर 1 मार्च को सुनवाई करेगी।”
गुप्ता की याचिका से विवाद खड़ा हो गया था। मुस्लिम नेताओं ने इस पर चिंता व्यक्त की थी। दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, यूके में पूर्व उच्चायुक्त शिव मुखर्जी, पूर्व सीईसी एसवाई कुरैशी और आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर रवि वीरा गुप्ता सहित पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह सब रोकने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की थी। इन लोगों का कहना था कि इस तरह की गतिविधियां भारत की सभ्यतागत विरासत पर एक वैचारिक हमला है। यह एक समावेशी देश के विचार को विकृत करती हैं।
इन लोगों ने मोदी को याद दिलाया कि उन्होंने खुद 12वीं सदी के संत के वार्षिक उर्स के अवसर पर शांति और सद्भाव के उनके संदेश के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में चादर भेजी थी। 4 जनवरी को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने दरगाह पर मोदी द्वारा भेजी गई एक ‘चादर’ चढ़ाई। उन्होंने प्रधानमंत्री का संदेश भी पढ़ा, जिसमें सभी धर्मों के लोगों से सद्भाव के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया गया था। अगले दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से भी चादर चढ़ाई गई।
सूफी संत के सम्मान में मुगल राजा हुमायूं द्वारा बनाई गई अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। प्रधानमंत्री हर साल दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं।ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती फारस के एक सूफी संत थे। वह अजमेर पहुंचे और 1192 से 1236 ई. में अपनी मृत्यु तक इसे अपना निवास स्थान बनाया। अपने शासनकाल के दौरान मुगल शासक अकबर ने हर साल अजमेर की तीर्थयात्रा की।
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