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ब्रोन्को टेस्ट से खिलाड़ी हो सकते हैं इंजर्ड, आर अश्विन ने किया बड़ा दावा, BCCI को दिया ये सुझाव

August 24, 2025

नई दिल्‍ली । भारतीय क्रिकेट टीम(Indian Cricket Team) के लिए अब बीसीसीआई(BCCI) ने रग्बी सेंट्रिक ब्रोन्को(Rugby Centric Bronco) टेस्ट मैंडेटरी (Test Mandatory)कर दिया है। यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर के ट्रायल रन के अलावा अब भारतीय खिलाड़ियों को ब्रोन्को टेस्ट से भी गुजरना होगा, तभी उनकी फिटनेस को सही पाया जाएगा। इस तरह की रिपोर्ट सामने आई है। आधिकारिक तौर पर अभी कुछ भी सामने नहीं आया है। इस बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने कहा है कि ब्रोन्को टेस्ट समस्या पैदा कर सकता है। इस टेस्ट में 20, 40 और 60 मीटर की शटल रन होती है, जिसके पांच सेट पूरे करने होते हैं और इसकी दूरी 1200 मीटर होती है, जिसके लिए 6 मिनट का समय होता है।


रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टीम इंडिया के नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने इस टेस्ट का सजेशन दिया था, जिसके पक्ष में हेड कोच गौतम गंभीर भी थे। यहां तक कि कुछ खिलाड़ी इस टेस्ट से गुजर चुके हैं, जो टी20 एशिया कप 2025 में खेलने वाले हैं। इसको लेकर अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, “मैंने हमेशा ट्रेनर्स से यही पूछा है। जब ट्रेनर बदलते हैं, तो टेस्ट सिस्टम भी बदल जाता है। ट्रेनिंग प्लान भी बदल जाते हैं। जब ऐसा होता है, तो खिलाड़ियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।”

अश्विन ने आगे कहा, “एक खिलाड़ी के तौर पर, अगर आप ट्रेनिंग प्लान्स बदलते रहते हैं, तो यह खिलाड़ियों के लिए वास्तव में बहुत मुश्किल होता है। कई मामलों में, इससे चोट भी लग सकती है। मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा कि इससे चोटें लगी हैं। 2017 से 2019 तक, मैं अपनी ट्रेनिंग स्कीम ढूंढ़ रहा था। मैंने ये सब झेला है। सोहम देसाई को इस बारे में सब पता है।” ट्रेनर की भूमिका पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए अश्विन ने कहा कि पुराने और नए ट्रेनर्स के बीच में परिवर्तन सहज होना चाहिए।

पिछले साल के आखिर में रिटायरमेंट लेने वाले अश्विन ने कहा, “मैं बस कुछ सवाल उठाना चाहता हूं। एक खिलाड़ी के तौर पर, समस्या निरंतरता की है। मैं सचमुच निरंतरता चाहता हूं। यह जरूरी है। मैं बस यही चाहता हूं कि जब भी कोई नया ट्रेनर आए, तो उसे पदभार सौंपने के लिए निवर्तमान प्रशिक्षक के साथ छह महीने से एक साल तक काम करना चाहिए। इस मुद्दे पर ध्यान देना जरूरी है। भारत के पास पैसा और साधन दोनों हैं। इस निरंतरता को पाटने की जरूरत है। संक्षेप में, मैं बस इतना कहूंगा कि जो चीज काम कर रही है उसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।”

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