
नई दिल्ली. दो साल ही गुजरे हैं जब मालदीव (Maldives) के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohamed Muizzu) चुनाव अभियान के दौरान भारत के खिलाफ हाथ धोकर पड़े थे. 2023 में मालदीव के राष्ट्रीय चुनावों में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था. मुइज्जू का यह अभियान मालदीव में भारतीय सैनिकों (indian soldiers) की मौजूदगी के खिलाफ था. तब उन्होंने कहा था कि वे सत्ता में आते ही मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों वापस लौटाएंगे. गौरतलब है कि 77 भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी मालदीव में मौजूद थी.
मोहम्मद मुइज्जू को चीन का हिमायती माना जाता था, उन्होंने मालदीव चुनाव में भारतीय कंपनियों की मौजूदगी का मुद्दा बढ़ चढ़कर उठाया था. राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइज्जू परंपरा को बदलते हुए अपनी पहली यात्रा पर दिसंबर 2023 में तुर्की गए, फिर जनवरी 2024 में उन्होंने चीन की यात्रा की. जबकि मालदीव में रवायत ये थी कि नए राष्ट्राध्यक्ष पहले भारत का दौरा करते थे.
मोहम्मद मुइज्जू का ये कदम बताता था कि वे मालदीव को भारत से दूर ले जा रहे हैं. इसके बाद मालदीव के मंत्रियों के बयान पीएम मोदी को लेकर आए जो गरिमा के विपरीत थे.
लेकिन साल 2023 से 2025 के बीच राष्ट्रपति मोइज्जू को और मालदीव के थिंक टैंक को भारत को नजरअंदाज करने का मतलब समझ में आ गया. शुक्रवार को पीएम मोदी जब मालदीव की राजधानी माले पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए मालदीव की पूरी सरकार पलक पांवड़े बिछाए तैयार थी.
खुद राष्ट्रपति मुइज्जू, मालदीव के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री एयरपोर्ट पर मौजूद थे. दो साल से कम समय में भी मोइज्जू की बायकॉट इंडिया की नीति, ‘वेलकम मोदी’ में तब्दील हो गई. आखिर क्या वजह रही जो राष्ट्रपति मोइज्जू को 18-20 महीनों में भारत को लेकर अपनी गलतियों को सुधारने पर मजूबर होना पड़ा.
The Prime Minister of India, His Excellency Shri @narendramodi arrives in the Maldives on a state visit, at the invitation of His Excellency President Dr @MMuizzu. This historic visit is Prime Minister Modi’s first visit to the Maldives since assuming his third term, and… pic.twitter.com/5xImYCNxbp
— The President's Office (@presidencymv) July 25, 2025
आर्थिक संकट: कोरोना खत्म हो गया है लेकिन असर से मालदीव की अर्थव्यवस्था निकल नहीं पा रही है. मालदीव की अर्थव्यवस्था संकट में है, विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 में मात्र $440 मिलियन था जो डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त था. ऐसे मुश्किल मौके पर भारत ने मालदीव की मदद की. भारत ने 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप की सुविधा दी और 100 मिलियन डॉलक ट्रेजरी बिल रोलओवर के साथ महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की.
इसके अलावा भारत अरबों रुपये का प्रोजेक्ट मालदीव में चला रहा है. ये प्रोजेक्ट मालदीव में बुनियाद ढांचे के विकास में अहम रोल अदा करेंगे. थिंक टैंक ओआरएफ ऑनलाइन के अनुसार मालदीव में भारत के सहयोग से बनाए जा रहे हनीमाधू हवाई अड्डा परियोजना और साथ ही 4,000 घरों के अगस्त 2025 से पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है. भारत यहां ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (जीएमसीपी) पर काम कर रहा है. इसके जरिये एक पुल बनाया जा रहा है जो सितंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा.
मालदीव के अड्डू में भारत ने अगस्त 2024 में एक लिंक ब्रिज परियोजना का उद्घाटन किया है. भारत यहां 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से एक हवाई अड्डा भी विकसित कर रहा है. भारत से रिश्तों में खटास की वजह से मालदीव के ये सारे प्रोजेक्ट फंस गए थे.
2025 में भारत और मालदीव ने मालदीव में नौका सेवाओं के विस्तार के लिए 13 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें 56 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता शामिल है. भारत मालदीव के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, जिसका व्यापार मूल्य 548 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. ऐसे स्थिति में मालदीव का इंडिया बायकॉट का नारा महज चुनावी प्रोपगेंडा साबित हुआ.
पर्यटन पर निर्भरता: मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान 28% है, जिसमें भारतीय पर्यटक सबसे बड़े समूह हैं. 2024 में “बायकॉट मालदीव” अभियान के बाद पर्यटकों की संख्या में 50,000 की कमी आई, जिससे $150 मिलियन का नुकसान हुआ. ऐसी स्थिति हुई कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारतीय पर्यटकों से मालदीव घुमने की अपील की.
जब मालदीव और भारत के रिश्ते तल्ख थे तो पीएम मोदी ने लक्षद्वीप की अपनी एक तस्वीर जारी की थी. ये मालदीव के लिए एक संदेश जैसा था कि अगर रिश्ते नहीं सुधरे तो भारतीय सैलानियों के पास मालदीव के विकल्प के रूप में लक्षद्वीप जैसी सुंदर जगह है.
कूटनीतिक दबाव: मुइज्जू की प्रो-चीन नीति और भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग ने तनाव बढ़ाया, लेकिन भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति और विदेश मंत्री जयशंकर की अगस्त 2024 की यात्रा ने संबंधों को नया आयाम दिया.
उच्च-स्तरीय कूटनीतिक प्रयास के तहत विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अगस्त 2024 में मालदीव का दौरा किया. इस दौरान सैन्य उपस्थिति जैसे विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत हुई. इसस पहले नवंबर 2023 में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू मोइज्जू के शपथ ग्रहण में शामिल होने माले पहुंचे थे. दिसंबर 2023 में यूएई में पीएम मोदी और मोइज्जू की मुलाकात भी हुई थी.
जून 2024 में जब पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो मोहम्मद मुइ्ज्जू भारत दौरे पर आए. इन लगातार संपर्कों ने दोनों देशों की गलतफहमियां दूर की और दोनों देश एक दूसरे के करीब आए.
इसके अलावा भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जहाज और हेलीकॉप्टर प्रदान किए जो क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका को रेखांकित करता है.
भारत सांस्कृतिक और सामुदायिक परियोजनाओं, जैसे स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण करवाया. भारत के इन प्रयासों ने मालदीव की जनता के बीच भारत की सकारात्मक छवि पेश की. इसका नतीजा आखिरकार दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों की परिणिति के रूप में हुई.
चीन की कर्ज जाल नीति: मालदीव पर चीन का $1.37 बिलियन कर्ज है, जो भारत की तुलना में जोखिम भरा है.राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने महसूस किया कि भारत की आर्थिक सहायता अधिक विश्वसनीय है. उनका ये विचार भी उन्हें भारत की ओर लाया.
मालदीव पर चीन का 1.37 बिलियन डॉलर का कर्ज उसकी जीडीपी का बड़ा हिस्सा है. यह कर्ज बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, जैसे हुलहुमाले ब्रिज और हवाई अड्डा विस्तार, के लिए मालदीव ने लिया था. इन परियोजनाओं की लागत अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई और मालदीव जैसे छोटे देश के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया.
चीन की उच्च ब्याज दरें और कठोर शर्तें मालदीव को जाल में फंसाती हैं, जबकि भारत की सहायता अधिक लचीली और विश्वसनीय रही. इसीलिए मुइज्जू ने भारत की ओर रुख किया.
क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत मालदीव के लिए “फर्स्ट रिस्पॉन्डर” रहा है, जैसे 1988 के तख्तापलट और 2004 के सुनामी में भारत ने मानवीय आधार पर मालदीव की मदद की. मालदीव की समुद्री सुरक्षा के लिए भारत की भूमिका अपरिहार्य है. भारत के विजन MAHASAGAR में (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) में मालदीव विशेष स्थान रखता है. मालदीव को भी पता चल गया
भारत और मालदीव के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक बंधन मजबूत हैं. सत्ता में आने के बाद मुइज्जू को इसे स्वीकार करना पड़ा. यही वजह रही कि मुइज्जू ने कोर्स करेक्शन करते हुए पीएम मोदी को मालदीव की 60वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ के मौके पर बतौर ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ आमंत्रित किया.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved