
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पांडुलिपि धरोहर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ज्ञान भारतम पोर्टल (Gyan Bharatam Portal) की शुरुआत की। ज्ञान भारतम एक डिजिटल मंच है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण, डिजिटलीकरण और उनके पारंपरिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना है। इस सम्मेलन का विषय पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति है, जो कि 11 से 13 सितंबर तक संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है।
बता दें कि ज्ञान भारतम एक डिजिटल गेटवे के रूप में काम करेगा, जो भारत के प्राचीन ज्ञान को दुनिया के सामने लाने में मदद करेगा। इसके तहत पूरे देश में फैली एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को चिन्हित कर उन्हें डिजिटाइज, संरक्षित और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। ये पांडुलिपियाँ विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में रखी गई हैं।
ज्ञान भारतम पोर्टल के तहत बनाए गए आठ विशेष कार्य समूहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपने-अपने क्षेत्रों में हो रहे कार्यों की प्रस्तुति दी। ये समूह पांडुलिपियों के संरक्षण, डिजिटलीकरण तकनीक, मेटाडेटा मानकों के निर्धारण, कानूनी ढांचे के विकास, सांस्कृतिक कूटनीति, और प्राचीन लिपियों को पढ़ने व समझने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर काम करेंगे। इन कार्य समूहों का उद्देश्य भारत की प्राचीन ज्ञान धरोहर को संरक्षित कर डिजिटल रूप में भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाना है।
गौरतलब है कि भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी प्राचीन पांडुलिपियों की धरोहर मानी जाती है। देश में करीब एक करोड़ पांडुलिपियां हैं, जिनमें आयुर्वेद, गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, संगीत, योग जैसे विषयों में गहरा ज्ञान समाया हुआ है। ऐसे में ज्ञान भारतम की पोर्टल की शुरुआत का उद्देश्य भारत की पांडुलिपियों में छिपा परंपरागत ज्ञान वैश्विक मंच पर पहुंचे और भारत फिर से वैश्विक ज्ञान परंपरा का मार्गदर्शक बने। यह पहल संस्कृति मंत्रालय के तहत एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है, जिससे भारत की ज्ञान परंपरा को विश्व में नई पहचान मिलेगी।
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