
नई दिल्ली। चीन (China) में 31 अगस्त से होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन (Shanghai Cooperation Organisation (SCO) Summit) के दौरान भारत (India) आतंकवाद के मुद्दे (Terrorism issues) पर पाकिस्तान (Pakistan) को सख्त संदेश देने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अपने संबोधन में पहलगाम आतंकी हमले और सीमा पार से जारी आतंकवाद का जिक्र कर सकते हैं। भारत की यह भी कोशिश है कि इस मुद्दे को एससीओ नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में शामिल किया जाए।
आपको बता दें कि 25-26 जून को चीन में एससीओ रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भी यह मुद्दा गर्म रहा था। जब भारत द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को संयुक्त वक्तव्य में शामिल नहीं किया गया तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
पहली बार एससीओ रक्षा मंत्रियों का संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हुआ। भारत आज भी अपने रुख पर कायम है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, एससीओ की स्थापना ही आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी तीन बुराइयों का मुकाबला करने के प्राथमिक लक्ष्य के साथ की गई थी। बता दें कि भारत ने 2023 में एससीओ की अध्यक्षता की थी। तब पहली बार एससीओ ने अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद को जन्म देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने में परस्पर सहयोग पर एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया था। भारत ने सहयोग के उन व्यापक और विविध क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया था जो एससीओ सदस्यों के लिए रुचिकर हैं।
2001 में हुई SCO की स्थापना
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई-6 समूह के रूप में हुई थी तब इसमें रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान तथा उजबेकिस्तान कुल छह देश शामिल हुए। उससे पहले यह शंघाई-5 के रूप में था। भारत-पाक 2017 में इसके सदस्य बने।
कई शिखर सम्मेलन में भाग ले चुके हैं प्रधानमंत्री
मोदी ने 2018 में किंगदाओ, 2019 में बिश्केक में, 2020 में मास्को (वर्चुअल), 2021 में दुशांबे (वर्चुअल), 2022 में ताशकंद, 2023 में नई दिल्ली में हुई शिखर सम्मेलन (वर्चुअल) शामिल रहे हैं।
एससीओ में अभी 10 देश
एससीओ में अभी 10 देश भारत, चीन, ईरान, बेलारूस, किर्गिस्तान, पाक, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान सदस्य हैं। मंगोलिया व अफगानिस्तान हैं। जबकि 14 देश संवाद साझीदार हैं।
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