img-fluid

POJK संकल्प दिवस पर बोले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, ‘नेहरू और जिन्ना के लिए हुआ देश का बंटवारा’

March 03, 2025

नई दिल्‍ली । इंडियन सोसाइटी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ सभागार में जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम और मीरपुर POJK बलिदान समिति द्वारा आयोजित POJK संकल्प दिवस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Union Minister Jitendra Singh) ने कहा कि ‘पाकिस्तान कब्जे वाले जम्मू कश्मीर भारत के इतिहास, तत्कालीन नेहरू सरकार (Nehru Government) और उनकी विदेश नीति की सबसे बड़ी विफलता का उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि नेहरू जी ने एक नहीं बल्कि अनेकों ऐसी गलतियां की, जिसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है।’

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा ‘भारत का बंटवारा देश के इतिहास का सबसे बड़ा ब्लंडर था। ये सिर्फ दो व्यक्तियों नेहरू और जिन्ना के महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया।’ POJK का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ‘जब हमारी सेना मीरपुर तक पहुंचकर हमारे भूमि को खाली करा रही थी तभी सीजफायर का ऐलान कर दिया गया और फिर POJK का जन्म हुआ। सीमाएं वहीं निर्धारित कर के नेहरू इस मुद्दे को UN ले गए।’ डॉ. सिंह ने कहा कि ‘अगर नेहरू ने सीजफायर का ऐलान नहीं किया होता और इस मामले को लेकर UN नहीं गए होते तो आज POJK पूरी तरह से जम्मू कश्मीर का हिस्सा होता।’ डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘नेहरू ने एक के बाद एक कई गलतियां जिसके कारण भारत की हजारों किमी की जमीन खोनी पड़ी।’

‘POJK, POTL और COTL भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा और इसकी मुक्ति के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। POJK की मुक्ति कब होगी इसकी भविष्यवाणी तो मैं नहीं करता लेकिन यह आश्वस्त करता हूं कि POJK की वापसी मोदी सरकार में ही संभव है।’ डॉ जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि ‘आर्टिकल 370 और POJK की मुक्ति के संकल्प को सिद्ध करने के लिए हमारी सरकार ने अपनी तीन पीढ़ियों को खपाया है और POJK की मुक्ति के लिए भी हमारी भाजपा सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।’


मोदी सरकार में ही संभव है POJK की वापसी
कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने संबोधन में संसद द्वारा जारी संकल्प प्रस्ताव पर बात करते हुए कहा ‘जब जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 समाप्त करने की बात की जाती थी तो ये कहा जाता कि यह कभी संभव नहीं। लेकिन मोदी सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता से इस असंभव से काम को संभव कर दिखाया। आज कोई भी राजनीतिक दल जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली के बारे में सोच भी नहीं सकता।’

तुषार मेहता ने POJK का जिक्र करते हुए कहा कि ‘देश की संसद में पहली बार देश के गृहमंत्री अमित शाह ने दहाड़ते हुए यह कहा था कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा और हम POJK की वापसी के लिए अपनी जान भी दे देंगे।’ उन्होंने कहा कि ‘आज देश में ऐसी मजबूत सरकार है जिस पर हमें भरोसा है कि अगर POJK की वापसी संभव है तो वो सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में ही संभव है।’

तुषार मेहता ने पाकिस्तान और POJK की आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए आगे कहा कि ‘आज पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है। आज POJK में मूलभूत आवश्यकताओं वाली चीजों की भारी किल्लत है। POJK में खाने को आटा नहीं है, POJK की लगभग 35% आबादी आज बेरोजगारी की मार झेल रहा है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद आज हो रहे अभूतपूर्व विकास कार्य को देखकर POJK के लोग भी भारत के साथ मिलना चाहते हैं। वो दिन दूर नहीं जब POJK के लोग ख़ुद भारत में मिलने के लिए आंदोलन खड़ा करेंगे।’

उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान ने POJK का छद्म नाम जो ‘आजाद कश्मीर’ AJK रखा है उसे सबसे पहले हमें बदलने की जरूरत है। हम सभी को सबसे पहले विकिपीडिया पर जाकर वहाँ से आजाद कश्मीर का नाम खत्म करना चाहिए क्योंकि वो सिर्फ पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर है POJK है और POJK भारत का अभिन्न हिस्सा है।’

1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय अविभाज्य जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह भारत में अधिमिलन के पक्ष में थे, लेकिन पंडित नेहरू की शेख अब्दुल्ला को सत्ता सौंपने की शर्त के चलते इसमें अनिर्णय की स्थिति बनी रही, जिससे पाकिस्तान को आक्रमण का अवसर मिल गया। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना, जम्मू-कश्मीर में घुस आई। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान और सैन्य अधिकारियों ने इस आक्रमण की पूर्व योजना बनाई थी, जिसका विवरण पाकिस्तानी सेना के अधिकारी अकबर खान ने अपनी पुस्तक Raiders in Kashmir में दिया है।

26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत में अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद 27 अक्टूबर को भारतीय सेना श्रीनगर पहुंची और पाकिस्तान के आक्रमक कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया। भारतीय सेना ने युद्ध में बढ़त बना ली थी। 1 जनवरी 1948 को, नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यह मामला उठाया ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान पाकिस्तान सेना के आक्रमण और भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र पर उसके आक्रमण की ओर आकर्षित किया जा सके। इसके जवाब में पाकिस्तान ने झूठा दावा किया कि उसकी सेना इसमें शामिल नहीं थी, लेकिन जब संयुक्त राष्ट्र कमीशन (UNCIP) ने जांच की, तो पाया कि पाकिस्तानी सेना इस आक्रमण में संलिप्त थी और उसे “आक्रमणकारी” घोषित किया गया।

भारतीय सेना पूरी तरह से नियंत्रण पाने के लिए तैयार थी, लेकिन 1 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र के दबाव में युद्धविराम घोषित करना पड़ा, जिससे जम्मू-कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में रह गया। इसी तरह, ब्रिटिश और पाकिस्तानी साजिश के तहत गिलगित-बल्टिस्तान में मेजर ब्राउन ने 2 नवंबर 1947 को पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया, और 1949 में संयुक्त राष्ट्र के युद्धबंदी की घोषणा के बाद यह क्षेत्र भी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में रह गया। हालांकि पाकिस्तानी संविधान भी स्पष्ट करता है कि POJK उसका हिस्सा नहीं है, जिसे AJK सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी दोहराया गया है।

लद्दाख का 37 हजार वर्ग किमी का विशाल क्षेत्र चीन के कब्जे में भी है। चीन ने नेहरू शासनकाल में ही, 1962 के युद्ध में भूभाग पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा 5,180 किमी शक्सगाम का एरिया शामिल है, जिसे पाकिस्तान ने 1963 में Sino-Pak Agreement के तहत अवैध रूप से चीन को दे दिया था। यानि चीन के कब्जे में कुल क्षेत्रफल 42,735 वर्ग किमी है।

1947 POJK नरसंहार: एक भुला दिया गया इतिहास
जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का हमला केवल सैन्य अभियान नहीं बल्कि एक सुनियोजित नरसंहार था। हिंदू और सिख समुदाय के निर्दोष लोगों की निर्ममता से हत्या की गई, महिलाओं का अपहरण और शोषण किया गया।

-मुज़फ्फराबाद नरसंहार: 23-26 अक्टूबर 1947 के दौरान पाकिस्तानी सेना और प्रशिक्षित हमलावरों ने कई दिनों तक लूटपाट, बलात्कार और हत्याएं कीं। करीब 4500-5000 हिंदू और सिख मारे गए, और 1600 से अधिक महिलाओं का अपहरण हुआ।

-मीरपुर नरसंहार: 24-25 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सैनिकों ने मीरपुर में 20,000 से अधिक हिंदू-सिखों की हत्या की, और 3500 से अधिक हिंदू-सिखों को बंधक बनाया गया। सैंकड़ों महिलाओं को पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और अरब के बाजारों में बेचा गया।

-कोटली और भिंबर नरसंहार: कोटली, मीरपुर की तहसील थी और इसकी आबादी लगभग 6 हजार थी, जिसमें आधे हिन्दू और आधे मुस्लिम थे लगभग 2 महीने तक कोटली के सभी हिन्दू बंधक बन कर रहे। पाकिस्तानी सेना ने बड़े पैमाने पर लूट, अपहरण कर हजारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को क्रूरता से मौत के घाट उतार दिया । भिंबर 28 अक्टूबर को आक्रमणकारियों के हाथों में चला गया था, 3 नवम्बर को मेंधर और 10 नवम्बर, 1947 को बाग भी हमलावरों के कब्जे में चला गया। हरेक शहर-गांव में रहने वाले हिंदू-सिक्खों का कत्ल कर दिया गया और स्त्रियों का अपहरण किया, या फिर सामूहिक बलात्कार करके उनकी हत्या कर दी गयी।

-राजौरी नरसंहार: जम्मू कश्मीर के राजौरी की दीवाली से जुडी ऐसी यादें है जिन्हे याद कर राजौरी के लोग आज भी सिहर उठते हैं। नवम्बर के महीने तक उन्होंने पुंछ जिले के ज्यादातर हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया था। इस हमले की वजह से बहुत सारे लोग राजौरी शहर में इकट्ठे हो गए। 10-12 नवंबर के बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने यहां ऐसा नरसंहार किया, कि इतिहास में ऐसी मिसाल कम ही मिलती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां कम से कम 30 हजार हिंदू-सिखों का कत्लेआम किया गया था।

-बारामूला नरसंहार: 24 अक्टूबर से 9 नवंबर 1947 के बीच ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ के तहत पाकिस्तानी सैनिकों ने बारामूला शहर औऱ आसपास के हिंदू-बहुल गांवों में लूटपाट, आगजनी, बलात्कार और हत्याओं का तांडव मचाया।

-POJK विस्थापितों का संघर्ष: पाकिस्तान के हमले के कारण लाखों हिंदू-सिखों को अपने घर छोड़ने पड़े। आज भी ये लाखों विस्थापित शेष भारत के अलग-अलग क्षेत्रो में बसे हैं और संघर्ष कर रहे हैं। ये नरसंहार इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे भारत में बहुत कम चर्चा मिलती है, लेकिन यह आज भी लाखों विस्थापितों की स्मृतियों में जीवित है।

POJK, POTL और COTL को जानिए
POJK (Pakistan-Occupied Jammu & Kashmir) – 13,297 वर्ग किमी

1947-48 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया, जिसमें मीरपुर और मुज़फ़्फराबाद शामिल हैं। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर का अभिन्न हिस्सा रहा है। POTL (Pakistan-Occupied Territories of Ladakh) – 67,791 वर्ग किमी

अविभाज्य जम्मू कश्मीर का ये हिस्सा सामरिक-रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, पाकिस्तान इसके क्षेत्र गिलगित-बल्टिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का 1947 से दोहन करता आ रहा है। COTL (China-Occupied Territories of Ladakh) – 42,735 वर्ग किमी

1962 के युद्ध के बाद चीन ने अक्साई चिन समेत लगभग 37 हजार वर्ग किमी भूमि पर कब्जा कर लिया और 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किमी शक्सगाम घाटी उसे सौंप दी। यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और भारत की संप्रभुता के लिए अनिवार्य अंग है।

भारत की एकता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रत्येक नागरिक को POJK, POTL और COTL की मुक्ति के संकल्प को अपनाना चाहिए। संगठित जनमत, राष्ट्रवादी चेतना और कूटनीतिक-सैन्य प्रयासों से हमें इन भारतीय भूभागों को मुक्त कराने के लिए एक जनांदोलन खड़ा करना होगा।

भारत का संकल्प
22 फरवरी, 1994 को संसद में सर्वसम्मति से पारित संकल्प-

-जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।

-भारत अपनी एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ किसी भी साजिश का दृढ़ता से प्रतिकार करेगा।

-पाकिस्तान को उन क्षेत्रों को खाली करना होगा, जिन पर उसने आक्रामकता द्वारा कब्जा कर रखा है।

भारत के आंतरिक मामलों में किसी भी हस्तक्षेप का कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।”

Share:

  • रणजी ट्रॉफी की विजेता टीम को मिलेगी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनिलस्ट के बराबर प्राइज मनी, हो गया ऐलान

    Mon Mar 3 , 2025
    नई दिल्ली । रणजी ट्रॉफी 2024-25(Ranji Trophy 2024-25 Matches) पर कब्जा विदर्भ(Capture Vidarbha) ने जमाया है। अक्षय वाडकर की टीम (Akshay Wadkar’s Team)ने नागपुर(Nagpur) में खेले ए रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच में केरल के खिलाफ जीत तो दर्ज नही की, लेकिन पहली पारी की बढ़त के आधार पर विदर्भ की टीम को जीत मिल […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved