
उज्जैन। महाकाल मंदिर में दर्शन कराने के लिए रुपए लेन-देन के मामले में पुलिस को पूर्व में गिरफ्तार दो आरोपियों की बैंक-कॉल डिटेल और सोशल मीडिया डेटा एनालिसिस के माध्यम से 6 और लोगों शामिल होने के सबूत मिले हैं। इस आधार पर 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया हैं। इसमें से चार मंदिर समिति के कर्मचारी और दो मंदिर में कार्यरत निजी एजेंसी के कर्मचारी हैं। पुलिस सभी से कड़ी सुरक्षा में उनकी कार्यप्रणाली को समझ रही है ताकि सबूतों को पुख्ता किया जा सके।
महाकाल मंदिर में अवैध तरीके से रुपए लेकर दर्शन कराने के मामले में महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक की शिकायत और जांच के बाद महाकाल थाना पुलिस ने महाकाल मंदिर के सफाई निरीक्षक विनोद चौकसे और दर्शन प्रभारी राकेश श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया था। पुलिस की पूछताछ, जांच में पुलिस को कई अहम के साथ मंदिर के कुछ कर्मचारियों की भ्रष्टाचार के गठजोड़ मिली थी। इस आधार पर पुलिस ने 6 और कर्मचारियों को मामले में आरोपी मानते हुए केस दर्ज किया। दर्शन के नाम पर रुपए वसूलने और मंदिर की आय को हड़पने वाले दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने 6 और लोगों के खिलाफ गुरुवार को एफआईआर दर्ज की है। उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा के अनुसार, गिरफ्तार विनोद चौकसे और राकेश श्रीवास्तव से मिली डिजिटल जानकारी के आधार पर महाकाल मंदिर सत्कार शाखा के अभिषेक भार्गव, राजेंद्र सिंह सिसौदिया, आईटी सेल प्रभारी राजकुमार सिंह, और भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा, मंदिर में आउटसोर्स कंपनी के दो कर्मचारी ओम प्रकाश माली और जितेंद्र परमार पर भी एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की गई है। आरोपियों के मोबाइल जब्त कर उनसे अन्य जानकारी हासिल की जा रही है। पूर्व में गिरफ्तार विनोद चौकसे और राकेश श्रीवास्तव के मोबाइल डेटा, व्हाट्सएप चैटिंग और यूपीआई ट्रांजेक्शन के आधार पर इस ठगी के गिरोह का खुलासा हुआ। महाकाल मंदिर की अन्य शाखा के कर्मचारियों की संलिप्तता पुलिस को मिली थी। पुलिस ने बैंक डिटेल व कॉल डिटेल का साइबर टीम के साथ एनालिसिस किया था। 6 आरोपियों से पूछताछ के बाद इस पूरे मामले में और नाम सामने आ सकते हैं।
वर्षों से एक पद पर जमे
सूत्रों का कहना हैं कि मामले में जो 6 नए आरोपी सामने आए है, उनमें 4 मंदिर प्रबंध समिति के कर्मचारी है। चारों वर्षों से एक ही शाखा और पद पर जमे हुए रहे। मामूली वेतन पाने वाले इन कर्मचारियों ने हाल के वर्षों में लाखों की चल-अचल संपत्ति भी बनाई है। पूर्व में इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन शिकायत करने वालों ने स्व-लाभ हासिल कर मामले को आगे बढाना भी मुनासिब नहीं समझा। अब एक बार फिर संपत्ति का मसला उजागर हो गया हैं। बता दें कि महाकाल मंदिर समिति के कुल 306 कर्मचारी हैं और अधिकांश अपने प्रभावी संबंध के आधार पर मनमाफिक जगह पदस्थ हैं।
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