
इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साइबर ठगों (Cyber Thugs) द्वारा डिजिटल अरेस्टिंग (Digital Arresting) के नाम पर की जा रही वारदातों को रोकने के लिए अब पुलिस (Police) ने और भी नए-नए प्रयोग करना शुरू कर दिए हैं. मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर (Indore) में पुलिस कर्मियों ने पैम्फ्लेट और बैनर (Pamphlets and Banners) के माध्यम से लोगों को जागरूक किया. इसके अलावा, वाहनों पर डिजिटल अरेस्टिंग को लेकर जागरूकता वाले स्टीकर भी लगाए.
इंदौर कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने बताया कि डिजिटल अरेस्टिंग नाम की कोई कार्रवाई नहीं होती है, लेकिन साइबर ठगों ने इसी को हथियार बनाकर लोगों के साथ कई वारदातों को अंजाम दिया है. अब इंदौर पुलिस जनता के बीच जाकर जागरूकता अभियान चला रही है. उन्होंने बताया कि पुलिस उपायुक्त और अन्य अधिकारियों ने लोगों को जागरूक करने के लिए पंपलेट, पोस्टर, स्टीकर आदि वितरण का अभियान चलाया है.
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि इसके माध्यम से स्पष्ट रूप से संदेश दिया जा रहा है कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता है. यदि आप साइबर ठगों से डर गए तो फस जाएंगे. यदि डरेंगे नहीं तो फसेंगे नहीं. इसके अलावा साइबर ठगों द्वारा जाल में फंसाने के लिए किए गए फोन की सूचना तुरंत 1930 पर करें, ताकि साइबर ठगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
डिजिटल अरेस्टिंग के नाम से साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों के खिलाफ अभियान तेज हो गया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विगत माह डीजीपी से मुलाकात कर साइबर धोखाधड़ी की वारदातों को रोकने के संबंध में निर्देश जारी किए थे. इसके बाद से ही लगातार पुलिस अभियान चला रही है. खास तौर पर सोशल मीडिया पर साइबर ठगों द्वारा की जाने वाली डिजिटल अरस्टिंग को लेकर रोज अलग-अलग प्रकार से प्रचार प्रसार किया जा रहा है.
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