उज्जैन। उज्जैन में तीन जांबाज़ पुलिसकर्मियों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सरकार की घोर लापरवाही और मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाकामी का सबूत है। सरकारी गाड़ी स्टार्ट न होने और पुल पर बैरिकेडिंग व रोशनी न होने की वजह से तीन पुलिसकर्मी ड्यूटी करते-करते शहीद हो गए। आखिर इस मौतों का जिम्मेदार कौन है?
मुख्यमंत्री खुद गृहमंत्री भी हैं
ऐसे में पुलिस की सुरक्षा, संसाधन और व्यवस्था की जिम्मेदारी सीधे-सीधे उन्हीं पर है। लेकिन सच यह है कि जब से मोहन यादव ने गृह मंत्रालय का दायित्व संभाला है, पुलिस भगवान भरोसे छोड़ दी गई है।
हाल के महीनों में हुई घटनाएँ
उज्जैन (सितंबर 2025) – सरकारी गाड़ी खराब और पुल पर बैरिकेडिंग न होने से 3 पुलिसकर्मी शहीद।
ग्वालियर (अगस्त 2025) – गश्ती कर रही पुलिस टीम पर बदमाशों का हमला, कई घायल।
इंदौर (जुलाई 2025) – थाने से ही पुलिसकर्मी की सरकारी बाइक चोरी।
सागर (जून 2025) – सड़क पर सुरक्षा इंतज़ाम न होने से ड्यूटी पर जा रहे सिपाही की मौत।
भिंड (मई 2025) – डकैतों से मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी घायल, संसाधनों की भारी कमी उजागर।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का बयान
“यह घटनाएँ साबित करती हैं कि मोहन यादव सरकार में पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। कभी पुलिस पर हमले, कभी थानों से गाड़ियों की चोरी और अब उज्जैन का हादसा – यह सब सरकार की नाकामी और गैर-जिम्मेदारी का जीता-जागता सबूत है। मुख्यमंत्री बताएं कि क्या वे इन मौतों की जिम्मेदारी लेंगे? या फिर हमेशा की तरह सिर्फ बयान और मुआवज़े की राजनीति करेंगे?”
कांग्रेस की माँग
1.उज्जैन हादसे की न्यायिक जांच कराई जाए।
2.दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार विभागों पर तत्काल कार्रवाई हो।
3.पुलिस विभाग को पर्याप्त संसाधन और सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए।
4.शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवज़ा और स्थायी नौकरी दी जाए।
कांग्रेस स्पष्ट करती है कि यदि सरकार अब भी नहीं जागी, तो कांग्रेस सड़क से सदन तक इस मुद्दे को उठाएगी और मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा करेगी।