काठमांडू। नेपाल (Nepal) में एक बार फिर से राजनैतिक संकट (Political Crisis) गहराता नजर आ रहा है। सत्ता में बैठे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की गठबंधन सरकार से एक प्रमुख मधेसी पार्टी (Madhesi Party) ने समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार नेशनल असेंबली(उच्च सदन) में अल्पमत में आ गई है। हालांकि, उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी, नेपाल (जेएसपी-नेपाल) के इस फैसले से गठबंधन सरकार पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त संख्याबल है।
थापा ने कहा, “हमने इन चार एजेंडों के आधार पर सरकार को समर्थन दिया था। हालांकि, अब एक साल बाद, हमें नहीं लगता कि सरकार इन मुद्दों को लेकर चिंतित है। इसलिए, हमने ओली के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।”
आपको बता दें किनेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) अपने 18 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, उसके बाद नेपाली कांग्रेस के 16 सदस्य, ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के 11 सदस्य हैं जबकि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) के पास आठ सीटें हैं। जेएसपी-नेपाल के पास तीन सीटें हैं, राष्ट्रीय जनमोर्चा और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के पास एक-एक सीट है जबकि एक निर्दलीय है। इस प्रकार सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 59 सदस्यीय सदन में 27 सीटें रह गई हैं।
पूर्व पर्यावरण मंत्री और सीपीएन-माओवादी सेंटर के केंद्रीय सदस्य सुनील मनंधर ने कहा कि जेएसपी-नेपाल के फैसले से गठबंधन सरकार पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, हालांकि यह सरकार पर कुछ नैतिक दबाव डालेगा। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त संख्याबल है, इसलिए फिलहाल इस कदम का कोई बड़ा प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है।
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