नई दिल्ली। जापान तकनीक और आविष्कार (Japan Technology) के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। इसे रोबोटिक्स में दुनिया का लीडर कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से जापान में जापान में आबादी का संकट और गहरा गया है। साल 2024 में देश की कुल जनसंख्या 9 लाख से ज्यादा घट गई, जो अब तक की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जापान की जनसंख्या अब महज 12 करोड़ रह गई है। भारत से तुलना की जाए तो यह उत्तर प्रदेश राज्य की आबादी (24 करोड़ से अधिक) के आधे से भी कम है।
16 साल से लगातार घट रही आबादी
जापान की आबादी साल 2009 में 12.66 करोड़ के शिखर पर पहुंची थी, लेकिन तब से लगातार गिर रही है। पिछले 16 सालों से एक भी साल ऐसा नहीं गया जब जनसंख्या बढ़ी हो। 2024 में कुल 6.87 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जो 1968 के बाद सबसे कम है, जबकि मौतें करीब 16 लाख हुईं। यह अब तक की सबसे ज्यादा गिरावट है।
सरकार के प्रयास
सरकार ने गिरती जनसंख्या को थामने के लिए कई प्रयास किए हैं, मसलन बच्चों के जन्म पर सब्सिडी, पेटर्निटी लीव को बढ़ावा, घर खरीदने में छूट, लेकिन इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे। विशेषज्ञों के मुताबिक, जापान की लगातार कम जन्म दर और बुजुर्ग आबादी का अनुपात (जो अब कुल आबादी का 30% है) इस संकट की जड़ में है।
कामकाजी लोगों की आबादी सिर्फ 59 फीसदी
कामकाजी उम्र की आबादी (15 से 64 वर्ष) अब सिर्फ 59% रह गई है, जबकि वैश्विक औसत 65% है। इससे देश की पेंशन व्यवस्था, स्वास्थ्य ढांचा और आर्थिक उत्पादन पर बड़ा असर पड़ रहा है।
प्रवासियों के भरोसे सरकार
इस जनसंख्या संकट को थामने के लिए जापान अब प्रवासी नीति की ओर भी झुक रहा है। 2024 में विदेशी नागरिकों की संख्या 10% बढ़कर 36 लाख हो गई — जो अब तक का रिकॉर्ड है। सरकार ने डिजिटल नोमाड वीजा और विदेशी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की नई योजना शुरू की है।
सरकार के अनुमानों के मुताबिक, 2070 तक जापान की आबादी 30% और घटेगी, हालांकि प्रवासियों की संख्या बढ़ने से गिरावट की गति थोड़ी धीमी हो सकती है।
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