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दान के पर्व मकर संक्रांति पर इंदौर को भिक्षुक मुक्त रखने की तैयारी तेज

December 07, 2025

  • कलेक्टर ने कहा- त्योहार से पहले बाहरी राज्यों से आने वालों पर विशेष निगरानी रखें

इन्दौर। मकर संक्रांति पर शहर में बच्चों और प्रवासी भिक्षुकों की संख्या बढऩे की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक अभियान शुरू किया है। कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि यह पहचान की जाए कि भिक्षुक किन रास्तों और किन क्षेत्रों से शहर में प्रवेश कर रहे हैं तथा कौन-कौन से राज्यों से उनकी आवाजाही बढ़ रही है। इसके आधार पर रोकथाम के साथ-साथ पुनर्वास की विशेष कार्रवाई की जाएगी। दान के पर्व और बढ़ती ठंड में सडक़ों पर फिर से भिखारियों का बोलबाला हो गया है।

शहर को भिक्षुक मुक्त रखने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम के साथ तीन विभागों की संयुक्त टीम एक बार फिर सक्रिय कर दी गई है। ये टीम मंदिरों, बड़े बाजारों, मुख्य चौराहों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगातार अभियान चला रही है। विशेष रूप से बच्चों की भिक्षावृत्ति को रोकने पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि पर्वों के दौरान नाबालिग भिक्षुकों की संख्या बढ़ जाती है।


कलेक्टर शिवम वर्मा ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह सबसे पहले ऐसे राज्यों और क्षेत्र की सूची बनाए, जहां से सबसे अधिक संख्या में भिखारी शहर आ रहे हैं, वहीं उन रास्तों की ट्रैकिंग भी की जाए, जहां से भिखारी की तादाद ज्यादा संख्या में आ रही है। पिछले वर्ष शुरू किए गए अभियान में अब तक करीब 3,000 से ज्यादा भिक्षुक पकड़े जा चुके हैं, जिनमें से कई को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया है। प्रशासन के अनुसार करीब 1,100 लोगों को लघु रोजगार, कौशल प्रशिक्षण या आजीविका कार्यक्रमों से जोड़ा गया है, ताकि वे दोबारा भिक्षावृत्ति की ओर न लौटें। बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए, अब तक लगभग 500 नाबालिग भिक्षुकों की पहचान की गई, जिनमें से 200 से ज्यादा बच्चों को स्कूलों, बाल भवनों और आश्रय गृहों में भेजा गया, जबकि 50 से अधिक बच्चों को परिवारों से मिलाकर घर भेजा गया।

देवगुराडिय़ा, अन्नपूर्णा, बिजासन पर विशेष नजर
मकर संक्रांति पर्व के पहले शहर के बाहर स्थित मंदिरों में सबसे ज्यादा बाल भिक्षुकों की संख्या देखी जा रही है। देवगुराडिय़ा मंदिर, अन्नपूर्णा, बिजासन व पितृ पर्वत के आसपास ज्यादा बच्चों देखें जा रहे हैं, वहीं शनि मंदिर के बाहर अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि पर्व के दौरान मिलने वाले दान और ठंड में ठिठुरते बच्चों के प्रति लोगो की संवेदनशीलता के कारण चौराहों पर बच्चे दिखने लगे हैं। अब इन्हें रेस्क्यू करने के साथ तत्काल काउंसलिंग और सुरक्षा गृह में भेजने की व्यवस्था की गई है। कलेक्टर ने नागरिकों से भी अपील की है कि वे भिक्षा न देकर पुनर्वास में सहयोग करें, क्योंकि भिक्षा न देने से ही यह चक्र टूटेगा और शहर स्थायी रूप से भिक्षुक मुक्त हो सकेगा।

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