
नई दिल्ली। जीएसटी सिस्टम (GST System) में बड़े बदलाव के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) सभी हितधारकों राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सर्वसम्मति बनाने के लिए चर्चा शुरू करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य विवादित मुद्दों को हल करना और प्रक्रिया को गति देना है। सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव 12% टैक्स स्लैब (12% Tax Slab) को खत्म करने का है, जो लंबे समय से लंबित है। इसके तहत कुछ वस्तुओं को 5% और कुछ को 18% स्लैब में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि इससे जीएसटी की जटिल मल्टी रेट स्ट्रक्चर सरल होगी, लेकिन अनुमान है कि केंद्र और राज्यों को मिलाकर लगभग 70,000-80,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा।
राजनीतिक संवेदनशीलता
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुमाबिक जीएसटी के 8 साल बाद व्यवस्था स्थिर हुई है, ऐसे में बदलाव आसान नहीं होगा। कोई भी राज्य चाहे विपक्षी हो या भाजपा शासित, आसानी से प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करेगा। रेवन्यू का नुकसान एक बड़ी चिंता है। इसलिए अमित शाह पहले ही राज्यों के साथ व्यापक चर्चा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से भी बातचीत की है।
संवेदनशील फैसलों में शाह का योगदान
जब भी वित्त मंत्री से इतर किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका की जरूरत होती है, विशेषकर राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में, अमित शाह को शामिल किया जाता है। पहले भी विनिवेश और खाद्य महंगाई जैसे मुद्दों पर उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्यों की चिंताएं
वर्तमान जीएसटी में कई दरें हैं – 0%, 5%, 12%, 18% और 28%, जिनके अलावा लग्जरी वस्तुओं पर सैस और कीमती धातुओं के लिए विशेष प्रावधान हैं। दरों में सरलीकरण का प्रस्ताव कई राज्यों को पसंद नहीं है। उदाहरण के लिए, दो विपक्षी राज्यों ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% करने की माँग की है, जबकि कुछ इसे पूरी तरह टैक्स-फ्री करना चाहते हैं।
आगे की राह
जीएसटी परिषद किसी एक बैठक में बड़े बदलाव पारित नहीं हो पाएगी। चूंकि इन फैसलों पर मतदान भी हो सकता है, इसलिए व्यापक सहमति जरूरी है। दर सरलीकरण पर पिछले चार साल से चर्चा चल रही है। सितंबर 2021 में परिषद ने इसकी आवश्यकता स्वीकार की थी, लेकिन फरवरी 2024 में भी 12% स्लैब बरकरार रखने का प्रस्ताव आया था, जो स्लैब कम करने के लक्ष्य के विपरीत था। अब इस पर पुनर्विचार होगा।
किन वस्तुओं पर असर?
12% स्लैब में पैकेज्ड खाद्य पदार्थ (गाढ़ा दूध, ड्राई फ्रूट्स, सॉसेज, फलों का रस), घरेलू सामान (कपास, जूट बैग, फर्नीचर, सिलाई मशीन), और चिकित्सा उत्पाद (मेडिकल ऑक्सीजन, पट्टियां, डायग्नोस्टिक किट) शामिल हैं। वर्ष 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी राजस्व का 70-75% 18% स्लैब से आता है, जबकि 12% स्लैब का योगदान केवल 5-6% है।
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