
नई दिल्ली: पाकिस्तान और अफगानिस्तान (Pakistan and Afghanistan) के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच दोहा, कतर में दोनों देशों के प्रतिनिधि वार्ता कर रहे हैं. यह बैठक सीमावर्ती हिंसा रोकने और अफगानिस्तान से पाकिस्तान की ओर फैल रहे आतंकवाद को काबू में करने के लिए आयोजित की गई है. दरअसल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 48 घंटे का सीजफायर शुक्रवार शाम 6 बजे समाप्त हो गया था.
इसे बढ़ाने पर सहमति बन गई थी, लेकिन कुछ ही घंटे बाद पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत में हवाई हमले किए. टोलो न्यूज के मुताबिक, इन हमलों में उर्गुन और बर्मल जिलों के कई घरों को निशाना बनाया गया, जो डूरंड लाइन के पास स्थित हैं. अफगान अधिकारियों के अनुसार, इन हमलों में कम से कम 10 नागरिक मारे गए.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान की ओर से सीजफायर न मानने का स्पष्ट संकेत है. 48 घंटे का यह त्रिपक्षीय समझौता लगभग एक सप्ताह तक जारी खूनखराबे के बाद आया था, जिसने सीमावर्ती क्षेत्रों में थोड़ी शांति बहाल की थी. पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक ने इसे तोड़ दिया और सीमा पर तनाव बढ़ा दिया.
कतर हमेशा से क्षेत्रीय संघर्षों में मध्यस्थ के रूप में जाने जाता रहा है. इजराइल हमास युद्ध में भी कई मौकों पर कतर ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई है, और इस बार भी दोहा शांति बहाल करने का मंच बन रहा है. तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद, कतर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कूटनीति और सुरक्षा वार्ताओं में मध्यस्थ का अनोखा रोल निभाता रहा है.
पाकिस्तान की ओर से रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ के नेतृत्व में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वार्ता में हिस्सा ले रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि वह तनाव नहीं चाहता, लेकिन अफगान तालिबान से उम्मीद है कि वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति किए गए वादों का पालन करें और टीटीपी व बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करें.
वहीं, अफगान पक्ष भी दोहा में मौजूद है. अंतरिम अफगान सरकार का प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब के नेतृत्व में बैठकों में शामिल है. अफगान तालिबान प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान पर हवाई हमलों का आरोप लगाया और इसे अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान सीमा पार हमलों को जारी रखता है, तो अफगानिस्तान के साथ स्थायी शांति की संभावना और कम हो जाएगी. दोहा में हो रही वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पाकिस्तान अपने सैन्य कदमों को शांतिपूर्ण समाधान के अनुरूप ढालता है या नहीं. अगर वार्ता सफल नहीं होती, तो सीमा पर तनाव बढ़ने और हिंसा के नए दौर का खतरा मंडरा सकता है.
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