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त्योहारी सीजन में बढ़े खाने-पीने की चीजों दाम, RBI गवर्नर बोले- महंगाई पर सख्त लगाम जरूरी

October 10, 2024

नई दिल्ली। त्योहारों का सीजन (Festive season) शुरू हो गया है, दूसरी ओर आम आदमी (Common man) महंगाई से परेशान है। खाने-पीने के चीजों की कीमतों में पिछले कुछ महीनों के दौरान बड़ा इजाफा देखा गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा महंगाई (Retail inflation) के अपने अनुमान को बुधवार को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। एमपीसी की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास (Reserve Bank of India Governor Shaktikanta Das) ने भी महंगाई पर टिप्पणी की। दो महीने के अंतराल पर होने वाली मौद्रिक समीक्षा के बाद गवर्नर दास ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक को महंगाई पर कड़ी नजर रखते हुए इस पर सख्त लगाम लगानी पड़ेगी, नहीं तो यह फिर से बढ़ सकती है।


आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान को 4.5% पर बरकरार रखा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा महंगाई के अपने अनुमान को बुधवार को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। एमपीसी की बैठक के बाद दास ने कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) ढांचे को 2016 में लागू किए जाने के बाद से आठ वर्ष पूरे हो गए हैं और यह भारत में 21वीं सदी में किया गया एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है।

दास के अनुसार केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत उतार-चढ़ाव के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है। महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

दास ने कहा, ‘‘ प्रतिकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य पदार्थों कीमतों में तेजी से सितंबर में महंगाई दर में तेजी देखने को मिल सकती है। अन्य कारकों के अलावा 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी इसकी प्रमुख वजह होगी।’’

अच्छे मानसून के कारण महंगाई से राहत की उम्मीद
हालांकि दास ने कहा कि अच्छे मानसून, बढ़िया खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में बेहतर फसल की उम्मीद से इस वर्ष की चौथी तिमाही में महंगाई दर में नरमी आ सकती है। दास ने कहा कि प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का भी जोखिम है। अक्तूबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट आई है। दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में निकट अवधि में तेजी की आशंका के बावजूद घरेलू स्तर पर कीमत को लेकर जो स्थितियां बन रही हैं उससे आगे महंगाई से राहत के संकेत मिलते हैं।

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