
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अस्पताल पहुंचकर (By visiting Hospital) झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन को (To JMM founder Shibu Soren) श्रद्धांजलि अर्पित की (Paid Tribute) । झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दुख की घड़ी में उनके परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। उनका पूरा जीवन आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए समर्पित रहा, जिसके लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।” शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलन के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा आदिवासियों के हक और अधिकार की लड़ाई से शुरू की थी। 1970 और 80 के दशक में जब झारखंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही थी, तब शिबू सोरेन इस आंदोलन के एक प्रखर नेता बनकर उभरे। जब झारखंड को अलग राज्य बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही थी, उस समय सूरज मंडल जैसे नेताओं के साथ मिलकर शिबू सोरेन ने एक लंबा संघर्ष किया। उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा जन-जन तक पहुंची। नतीजतन वर्ष 2000 में नया राज्य बना झारखंड।
उनका संघर्ष आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन और सामाजिक न्याय की आवाज को राष्ट्रीय मंच तक ले गया। साल 2000 में झारखंड को अलग राज्य बनाने में शिबू सोरेन की भूमिका अहम रही। अलग राज्य बनने के बाद वह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, हालांकि वह किसी भी कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाए। उनका पहला कार्यकाल 2 मार्च, 2005 से 11 मार्च, 2005, दूसरा कार्यकाल 27 अगस्त 2008 से 12 जनवरी 2009 और तीसरा कार्यकाल 30 दिसम्बर 2009 से 31 मई 2010 रहा।
शिबू सोरेन का जनसंपर्क और आदिवासी समाज के साथ जुड़ाव इतना मजबूत था कि वे हमेशा जनता के बीच लोकप्रिय बने रहे। चाहे संसद हो या सड़क, शिबू सोरेन ने हर मंच से आदिवासी समाज की आवाज उठाई। उन्होंने जल, जंगल और जमीन जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बनाया। उनका जीवन सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय पहचान की लड़ाई की मिसाल बना रहा।
गौरतलब है कि झारखंड राज्य के गठन के समय राज्य का नाम ‘बानांचल’ रखने का सुझाव भी दिया था। इस नाम के पीछे यह तर्क था कि झारखंड क्षेत्र वनों से आच्छादित है और यह नाम क्षेत्र की भौगोलिक पहचान को बेहतर तरीके से दर्शाता है। ‘बानांचल’ शब्द ‘वन’और ‘अंचल’ को मिलाकर बनाया गया था।
चाहे संसद हो या सड़क, उन्होंने हर मंच से आदिवासी समाज की आवाज बुलंद की। उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा आज भी राज्य की प्रमुख राजनीतिक ताकत है और उनके पुत्र हेमंत सोरेन ने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है। शिबू सोरेन का जीवन राजनीतिक संघर्ष, सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय पहचान की लड़ाई की मिसाल है।
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