
गुवाहाटी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) काजीरंगा एलिवेटेड कॉरिडोर (Kaziranga Elevated Corridor) की जनवरी में आधारशिला रखेंगे (Will lay the Foundation Stone in January) । यह महत्वाकांक्षी कॉरिडोर वन्यजीव संरक्षण और आधुनिक आधारभूत संरचना विकास के बीच संतुलन बनाने के असम के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने बुधवार को कहा कि पिछले साल यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल पर प्रधानमंत्री के दौरे के बाद इस परियोजना ने गति पकड़ी। 34.45 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स द्वारा मंजूर 6,957 करोड़ रुपए की परियोजना का हिस्सा है। यह कॉरिडोर नेशनल हाईवे-37 है, जिसे अब एनएच-715 कहा जाता है। यह नौ महत्वपूर्ण एनिमल कॉरिडोर के ऊपर से गुजरेगा, जो इकोलॉजिकली सेंसिटिव काजीरंगा लैंडस्केप से होकर गुजरता है। इससे वाहनों और वन्यजीवों की आवाजाही के बीच चल रहे टकराव को खत्म करना है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का हवाला देते हुए कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे के दौरान काजीरंगा की समृद्ध जैव विविधता से बहुत प्रभावित हुए थे, जिससे इस परियोजना को प्राथमिकता देने में मदद मिली। बोरा ने कहा, “हमें बताया गया है कि प्रधानमंत्री एलिवेटेड कॉरिडोर की आधारशिला रखेंगे। यह असम के लोगों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यह वन्यजीवों की रक्षा करेगा और कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगा।”
फिलहाल हर दिन इस हाईवे से लगभग 5,000 से 6,000 वाहन गुजरते हैं। सालाना मानसून की बाढ़ के दौरान जंगली जानवर—खासकर हाथी और हिरण—कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में ऊंची जगह पर पहुंचने के लिए व्यस्त हाईवे को पार करने के लिए मजबूर होते हैं, जिससे अक्सर जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इस परियोजना से क्षेत्रीय विकास को भी बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसमें 85.67 किलोमीटर लंबे कालियाबोर-नुमालीगढ़ स्ट्रेच को चार लेन का बनाना और शहरों के केंद्रों में भीड़ कम करने के लिए जाखलाबंदा और बोकाखाट में ग्रीनफील्ड बाईपास का निर्माण शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना से लगभग 35 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा। अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में लागू सफल वन्यजीव-अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल के आधार पर काजीरंगा एलिवेटेड कॉरिडोर से इको-टूरिज्म को मजबूत करने की उम्मीद है। साथ ही यह भी सुनिश्चित होगा कि असम का विकास इसके नाजुक प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ तालमेल बैठाकर हो।
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