
इंदौर। बीते कई सालों से सांवेर रोड स्थित नई सेंट्रल जेल का निर्माण अधूरी पड़ा था, जिसे पूरा करने के लिए शासन ने 217 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की और लोक निर्माण विभाग ने टेंडर जारी किए और बीसीसी रियल इन्फ्रा कम्पनी को इसका काम मिला, जिसके चलते दूसरे चरण का निर्माण चल रहा है। इस नई सेंट्रल जेल में 4 हजार से अधिक कैदियों को रखने की क्षमता होगी और 60 बिस्तरों का आधुनिक अस्पताल भी बनेगा, जहां पर कैदियों को आपातकालीन और आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेगी। दूसरी तरफ 130 साल पुराने अंग्रेजों के बनाए हुए जेल कानूनों में भी आवश्यक संशोधन मोहन सरकार कराने जा रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक नए जेल अधिनियम में संशोधन किए जा रहे हैं और फिर कैबिनेट मंजूरी के बाद नोटिफिकेशन किया जाएगा। हालांकि पूर्व के नोटिफिकेशन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
इंदौर की मौजूदा सेंट्रल जेल चूंकि बीच शहर और घनी आबादी में आ गई है। लिहाजा कुछ वर्ष पूर्व इसकी शिफ्टिंग करने की योजना बनी और सांवेर रोड पर 50 एकड़ में नई जेल का निर्माण शुरू हुआ। पहले हाउसिंग बोर्ड को यह प्रोजेक्ट दिया गया, उसके बाद उससे छीनकर निजी फर्म को और फिर आरोप-प्रत्यारोप लगने पर अब लोक निर्माण विभाग से बचे हुए कार्य करवाए जा रहे हैं और कुछ समय पूर्व 168 करोड़ रुपए का टेंडर बचे हुए कामों का मंजूर किया गया, जिसके चलते अब दूसरे चरण में नई सेंट्रल जेल का निर्माण चल रहा है, जिसमें प्रशासनिक ब्लॉक, क्वार्टरों सहित अन्य बैरकें निर्मित की जा रही है। कैदियों की क्षमता भी यहां पर 4 हजार से अधिक रहेगी। वहीं थर्ड जेंडर के लिए भी अलग बैरक बनाई गई है। दूसरी तरफ नया जेल अधिनियम वैसे तो 1 जनवरी से ही लागू होना था। मगर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के चलते इसमें आवश्यक संशोधन करना पड़ रहा है। वहीं अब जेल विभाग का नाम भी बदलकर बंदी गृह एवं सुधारात्मक विभाग किया गया है और जेल को भी सुधारात्मक गृह के रूप में जाना जाएगा।
खुली जेल के साथ-साथ कैदियों को भी कई तरह की सुविधाएं दी जाएगी। इतना ही नहीं, नया जेल अधिनियम, जो कि 130 साल पुराने कानून के बदले लागू होगा, उसमें इलाज से लेकर कैदियों को मिलने वाले भोजन, नाश्ते, चाय, पानी की सुविधाएं बढ़ेगी, तो महिलाओं को जेल में शैम्पू, हेयर रिमूव्हल क्रीम सहित अन्य सुविधाएं दी जाएगी। शासन ने प्रिजन एक्ट 1884 में संशोधन करने का निर्णय लिया है, जिसके चलते जहां अधिनियमों में बदलाव होंगे, वहीं कैदियों को पौष्टिक भोजन मिलेगा, जिसमें दूध, सलाद से लेकर चायपत्ती और तेल की मात्रा भी बढ़ाई गई है। इसके साथ ही जो नई आधुनिक जेलें बन रही हैं उनमें न्यायाधीशों के लिए भी चैम्बर बनाए जा रहे हैं, ताकि जरूरत पडऩे पर और आवश्यक परिस्थितियों में जेल के भीतर ही सुनवाई हो सके। वहीं अब यह भी प्रावधान किए जा रहे हैं कि जेल में बंद कैदियों को अदालत में सुनवाई के लिए ना ले जाना पड़े, बल्कि वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई हो सके। हालांकि यह प्रयोग अभी शुरू भी कर दिया गया है। दूसरी तरफ जो नया जेल अधिनियम प्रदेश में लागू होना है उसे पिछले साल 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन से लागू करने का निर्णय लिया था और 13 अगस्त को इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया, जो कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदी गृह अधिनियम 2024 के नाम से किया गया। मगर इसमें एक बड़ी त्रुटि यह हो गई कि जेल विभाग ने अधिनियमों को अंग्रेजी में तैयार नहीं किया। साथ ही एक्ट में अन्य त्रुटियां भी सामने आईं और फिर 1 जनवरी से इसे लागू करने के प्रयास किए गए। मगर तब भी इसे लागू नहीं किया जा सका। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन दी, जिसके चलते अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं और उसके बाद नया जेल अधिनियम लागू होगा, जिसमें जेलों का नाम सुधार संस्थान और जेल अधिकारियों को सुधार सेवा अधिकारी के नाम से जाना जा सकेगा। वहीं खतरनाक कैदियों को अलग रखने और जेलों में अधिक स्थान उपलब्ध कराने के साथ अन्य प्रावधान भी किए जा रहे हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved