
नई दिल्ली। देश की प्रमुख ऑटो डीलर्स संस्था फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (Federation of Automobile Dealers Association) ने प्राइवेट बैंकों (Private Banks) पर गंभीर आरोप लगाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से दखल देने की मांग की है। FADA का कहना है कि जबकि सरकारी बैंक रेपो रेट (Repo rate) में कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं, वहीं कई प्राइवेट बैंक जानबूझकर ऑटो लोन पर ब्याज दरों में कटौती को टाल रहे हैं।
FADA के उपाध्यक्ष ने RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा को पत्र लिखकर कहा कि, “आपके नेतृत्व में RBI ने ऐतिहासिक दर पर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा संबल मिला है। लेकिन इसका फायदा ऑटो रिटेल सेक्टर में दिखाई नहीं दे रहा, क्योंकि प्राइवेट बैंक इसे लागू नहीं कर रहे।”
उपाध्यक्ष ने कहा कि कई बैंक ‘इंटरनल कॉस्ट ऑफ फंड्स’ का हवाला देकर रेपो रेट कटौती को लोन रेट में ट्रांसफर करने में देरी कर रहे हैं, जो ग्राहकों के साथ अन्याय है।
FADA ने RBI से अनुरोध किया है कि वह सभी बैंकों में ब्याज दर पास-थ्रू की निगरानी करे और निर्धारित समयसीमा में दरों को ट्रांसफर करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे। साथ ही, बैंकों को कॉस्ट ऑफ फंड्स की जानकारी पब्लिक डोमेन में डालने का निर्देश देने की बात भी कही गई है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
संस्था ने यह भी आरोप लगाया कि MSME के तहत रजिस्टर्ड ऑटो डीलरशिप्स को कई बार वो लाभ नहीं मिलते जो उन्हें मिलने चाहिए। इसलिए RBI को MSME से जुड़े नियमों को स्पष्ट करने की मांग की गई है।
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