
नई दिल्ली । कांग्रेस(Congress) महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा(Priyanka Gandhi Vadra) का 12-दिन का वायनाड दौरा(Wayanad tour) लगातार चर्चा में है। खास बात यह है कि इस दौरान न तो भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम हुए और न ही स्थानीय कांग्रेस इकाई उनकी गतिविधियों से जुड़ी दिखी। शुक्रवार को इस दौरे में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और नेता विपक्ष राहुल गांधी भी उनसे जुड़ गए।
प्रियंका 11 सितंबर से अपने वायनाड लोकसभा क्षेत्र में हैं और 22 सितंबर तक यहां रहने वाली हैं। लेकिन उनकी अधिकांश मुलाकातें और कार्यक्रम पार्टी संरचना से बाहर हैं। वायनाड जिला कांग्रेस प्रमुख एन डी अप्पाचन ने कहा, “हमें उनके कार्यक्रमों की जानकारी नहीं दी जाती। सब कुछ उनके दफ्तर से तय होता है। वह स्थानीय राजनीति में शामिल नहीं होना चाहतीं।”
कांग्रेस सूत्रों ने स्वीकार किया कि प्रियंका का यह दौरा समय के लिहाज से सही नहीं है, क्योंकि विधानसभा का सत्र चल रहा है। वायनाड की सात विधानसभा सीटों में से पांच कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ के पास हैं। विपक्ष के लिए यह सत्र सरकार पर दबाव बनाने का अवसर है, ऐसे में स्थानीय नेताओं का ध्यान वायनाड पर बंटना पार्टी के लिए असुविधाजनक माना जा रहा है।
पिछले एक हफ्ते में प्रियंका ने कई धार्मिक नेताओं, लेखकों, भू-संरक्षक चेरुवायल रामन जैसे पद्मश्री विजेताओं और भूस्खलन पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने सुल्तान बथेरी में एक आंगनवाड़ी का उद्घाटन कर बच्चों से खिलौनों की पसंद पूछी और फिर खिलौने खरीदकर वहां पहुंचाए।
उन्होंने नीलांबुर में रेल स्टेशन पर विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा की और कटनायक्कन आदिवासी समुदाय से भी मुलाकात की। गुरुवार को वे मुत्तिल स्थित वायनाड मुस्लिम ऑर्फनेज गईं, लेकिन कांग्रेस सहयोगी आईयूएमएल (IUML) को उनके कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी गई। शुक्रवार को सोनिया गांधी के साथ उन्होंने चूंडले स्थित कॉफी बोर्ड के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र और एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन का भी दौरा किया।
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) सदस्य रमेश चेन्नीथला जब वायनाड में ‘ड्रग्स के खिलाफ पैदल मार्च’ कर रहे थे, उसी दौरान प्रियंका और सोनिया वहां से गुजर गईं लेकिन शामिल नहीं हुईं। सूत्रों के मुताबिक, अगर प्रियंका ने कार्यक्रम की शुरुआत की होती तो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता।
दौरे की शुरुआत में ही स्थानीय कांग्रेस नेता जोस नेल्लेदम ने आत्महत्या कर ली। वहीं, दूसरे स्थानीय नेता के थैंकाचन की गिरफ्तारी और बाद में बरी होने के मामले ने जिला इकाई में गुटबाजी उजागर कर दी। इसी बीच पूर्व जिला कोषाध्यक्ष एन एम विजयन की बहू पद्मजा ने भी आत्महत्या का प्रयास किया, जिसने पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दीं।
स्थिति को संभालने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल और राज्य पार्टी अध्यक्ष सनी जोसेफ ने जिला कांग्रेस कमेटी के नेताओं के साथ बैठक की।
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