
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (RG Kar Medical College And Hospital) की महिला डॉक्टर (Female Doctor) के यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) और हत्या के एक साल पूरे होने पर पीड़िता के परिवार (Victim’s Family) ने नबन्ना चलो अभियान (Nabanna Chalo Campaign) का आह्लान किया. इस मार्च में पीड़िता के परिवार के साथ ही बीजेपी (BJP) के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं. इस मार्च पर शनिवार (9 अगस्त, 2025) को कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) ने लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस के लाठीचार्ज में पीड़िता के माता-पिता भी घायल हो गए हैं.
इस भयावह घटना के एक साल पूरे होने पर भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी मार्च में शामिल हुए. नबन्ना मार्च में शामिल लोगों पर पुलिस के लाठीचार्ज और पीड़िता के माता-पिता के घायल होने पर शुभेंदु अधिकारी कोलकाता के पार्क स्ट्रीट पर धरने पर बैठ गए हैं.
मामले के एक साल पूरे होने पर मृतक महिला डॉक्टर अभया (बदला हुआ नाम) के माता-पिता और परिवार ने इसकी जांच पर सवाल उठाते हुए नबन्ना मार्च निकाला. हालांकि, नबन्ना परिसर (राज्य सरकार का सचिवालय है, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्यालय है) में धारा 163 लागू कर दी गई है, जिसके तहत वहां कोई भी आंदोलन नहीं किया जा सकता है. कोलकाता पुलिस ने इसे लेकर पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी. इसके बावजूद, वहां एक के बाद एक जुलूस बैरिकेड तोड़कर नबन्ना सचिवालय की ओर बढ़ने लगा.
नबन्ना मार्च के दौरान कोलकाता के पार्क स्ट्रीट से डोरिना क्रॉसिंग, हावड़ा मैदान से संतरागाछी तक तनाव फैल गया. मार्च में शामिल लोग लोहे के गेट को हटाकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस बार-बार लोगों को बैरिकेड न तोड़ने की चेतावनी दे रही थी, लेकिन लोगों ने अपनी कोशिश जारी रखी. इस बीच प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए कोलकाता पुलिस ने पार्क स्ट्रीट पर लाठीचार्ज कर दिया.
मृतक महिला डॉक्टर की मां दावा किया कि कोलकाता पुलिस की कार्रवाई में उनके सिर में चोट आई है और उनका शंखा भी टूट गया है. उन्होंने कहा, “आखिर ये हमें रोक क्यों रहे हैं? हम सिर्फ सचिवालय पहुंचना चाहते हैं और अपनी बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध के खिलाफ न्याय मांगना चाहते हैं.”
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