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फ्रांस में नेपाल से भी बड़ा विरोध-प्रदर्शन… सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लाखों लोग

September 19, 2025

पेरिस। हाल ही में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद फ्रांस में गुरुवार को एक बार फिर लाखों लोगों ने एकजुट होकर बड़ा प्रदर्शन किया है। बजट में कटौती (Protest Budget cuts) के विरोध में और वेतन बढ़ाने और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (President Emmanuel Macron) के इस्तीफे की मांग को लेकर लाखों लोगों ने सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन किए हैं। इस दौरान सैंकड़ों रैलियों की वजह से देश में परिवहन व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया है कि हड़तालों और प्रदर्शनों में करीब 8,00,000 लोग शामिल हुए हैं। देश में लगभग एक तिहाई शिक्षक हड़ताल पर हैं, 10 में से 9 दवा की दुकानें बंद रहीं, वहीं पेरिस मेट्रो का परिचालन भी प्रभावित हुआ।


गुरुवार को पूरे देश के शिक्षकों, रेल चालकों, फार्मासिस्टों, किसानों और अस्पताल कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। प्रदर्शन में छात्रों ने भी हिस्सा लिया है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अलग-अलग जगहों पर 20 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। स्थिति को संभालने के लिए, देश भर में 80,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जो ड्रोन, बख्तरबंद वाहनों और वाटर कैनन की मदद से लोगों को काबू करने की कोशिशें कर रहे हैं।

बता दें कि फ्रांस में नए प्रधानमंत्री लेकोर्नू ने पिछले हफ्ते ही शपथ ली थी और पहले से जारी राजनीतिक संकट के बीच समाधान निकालने का वादा किया था। हालांकि उनकी नियुक्ति के बाद ट्रेड यूनियन और वामपंथी दल खुश नहीं हैं। लेकोर्नु द्वारा प्रधानमंत्रियों के आजीवन भत्ते खत्म करने और दो सार्वजनिक छुट्टियों को रद्द करने की योजना को वापस लेने के वादों के बावजूद, पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू के 44 बिलियन यूरो के बजट के मसौदे पर लोग अब भी भड़के हुए हैं और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का इस्तीफा मांग रहे हैं।

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी और पूर्व रक्षा मंत्री लेकोर्नू पिछले दो सालों में पांचवें प्रधानमंत्री हैं। वह एक साल से भी कम समय में देश के चौथे प्रधानमंत्री हैं। ऐसे में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से स्थिति बेकाबू होती जा रही है। वहीं फ्रांस की राजनीति में बजट हमेशा टकराव का बड़ा कारण रहा है। हर साल इसके जरिए यह तय होता है कि सरकार किन क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाएगी और कहां कटौती करेगी, और यही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद का कारण बनता है।

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