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पंजाब : पहली बार सनातन धर्मग्रंथों पर ईशनिंदा कानून की उठी मांग, विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा प्रस्‍ताव

July 16, 2025

चंडीगढ़ । पंजाब विधानसभा (Punjab Legislative Assembly) के विशेष सत्र (Special Session) के समापन के दिन यानी मंगलवार (15 जुलाई) को विधानसभाध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान (Assembly speaker Kultar Singh Sandhwan)ने धर्मग्रंथों (Scriptures) की बेअदबी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा के प्रस्ताव वाले विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया है, ताकि प्रस्तावित कानून पर जनता की राय ली जा सके। देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सनातन के धर्मग्रंथों के अपमान या बेअदबी पर भी इस तरह के कठोर सजा का प्रावधान की मांग इस बिल के जरिए हुई है।

एक दिन पहले यानी सोमवार (14 जुलाई) को सीएम भगवंत मान ने विधानसभा में “पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025” को पेश किया था। इस विधेयक में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद्गीता, बाइबिल और कुरान सहित अन्य पवित्र ग्रंथों के अनादर के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है। विधानसभाध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने कहा कि समिति छह महीने के भीतर विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उसके बाद दोबारा बिल को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

CM मान ने पेश किया था बिल
मुख्यमंत्री मान ने सोमवार को सदन में बेअदबी रोधी विधेयक पेश करते हुए कहा था कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा होनी चाहिए। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने ही इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा, ताकि जनता और धार्मिक संस्थाओं की राय ली जा सके। इसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं।


बिल को सभी दलों का समर्थन हासिल
इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अश्वनी शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म में बहुत सारे ग्रंथ हैं। सभी सनातन ग्रंथों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए, जबकि इस विधेयक में सिर्फ श्रीमदभगवत गीता को ही शामिल किया गया है। यह पहला मौका है, जब देश में सनातन के सभी धर्मग्रंथों की बेअदबी के लिए इस तरह के कानून की मांग की गई है। वहीं विपक्ष ने नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि ऐसे बिल पर गहन अध्ययन की जरूरत होती है। इसमें ग्रंथ चोरी होने का जिक्र नहीं है, उसे भी शामिल किया जाना चाहिए और बेअदबी के मामलों की तय समय-सीमा के अंदर जांच की जानी चाहिए।

30 दिन के अंदर पूरी हो जांच
बाजवा ने मांग की कि जांच के लिए 30 दिन का समय तय किया जाना चाहिए। अगर 30 दिन में जांच पूरी नहीं होती तो एसएसपी की अनुमति के बाद ही आगे 15 दिन का और समय दिया जाना चाहिए। इसके सिर्फ डीजीपी की अनुमति के बाद ही जांच का समय आगे बढ़ाया जाना चाहिए। शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा अन्य धार्मिक ग्रंथ भी हैं, जिनका भी सम्मान और सत्कार किया जाना चाहिए। उनकी बेअदबी नहीं होनी चाहिए। यह कानून हम पास कर भेजेंगे, और वह संसद में भी पास होना चाहिए।

विधेयक में क्या प्रावधान, कितनी सजा?
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, धर्मग्रंथों की बेअदबी का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है। दोषी व्यक्ति को पांच लाख रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है, जो बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक किया जा सकता है। विधेयक के अनुसार, अपराध करने का प्रयास करने वाले को तीन से पांच वर्षों की सजा हो सकती है और उसे तीन लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। जो व्यक्ति इस अपराध को उकसाने या मदद करते हुए पाए जाएंगे, उन्हें किए गए अपराध के अनुसार दंडित किया जाएगा।ब

एक बार यह विधेयक पारित हो जाने पर, इस कानून के तहत दंडनीय अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य होंगे और इसका मुकदमा सत्र अदालत में चलाया जाएगा। जांच एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी जिसकी रैंक पुलिस उपाधीक्षक से कम नहीं होगी। पंजाब में पवित्र धर्मग्रंथों का अनादर एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। 2015 में फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के बाद कड़े दंड की मांग विभिन्न पक्षों से उठी थी। यह प्रस्तावित कानून सभी संप्रदायों और धर्मों में बेअदबी के कृत्यों को अपराध घोषित करके और उसके लिए दंड निर्धारित करके इस कानूनी खालीपन को पूरा करने का उद्देश्य रखता है।

पहले भी हो चुकीं ऐसी कोशिशें
हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब पंजाब में बेअदबी के दोषियों के लिए कड़ी सजा का बिल लाया गया है। 2016 में तत्कालीन शिअद-भाजपा सरकार द्वारा आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 और सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 लाया गया था, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब के खिलाफ बेअदबी के कृत्यों के लिए उम्रकैद की सजा की सिफारिश की गई थी।

केंद्र सरकार ने बाद में यह विधेयक यह कहते हुए वापस कर दिया था कि संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को ध्यान में रखते हुए सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। वर्ष 2018 में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दो विधेयक पारित किए थे – भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2018′ और ‘दंड प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018’, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल को क्षति पहुंचाने या बेअदबी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया था।हालांकि, उन दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली और उन्हें वापस भेज दिया गया था।

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