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रूस से कच्चे तेल की खरीदी 11 महीने के उच्चतम स्तर पर, भारत बना दूसरा सबसे बड़ा खरीदार

July 13, 2025

नई दिल्ली। भारत (India) ने जून 2025 में रूस (Russia) से कच्चे तेल (Crude Oil) की खरीद 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दी है। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों (International Analysts) के अनुसार, इस्राइल-ईरान युद्ध की आशंका और आपूर्ति सुरक्षा को लेकर भारत के रिफाइनर्स ने बड़ी मात्रा में रूसी तेल का भंडारण किया। इस महीने रूस से भारत की तेल आयात 2.08 मिलियन बैरल प्रतिदिन रही, जो जुलाई 2024 के बाद सबसे ज्यादा है।

वैश्विक एनर्जी थिंक टैंक सीआरईए और किप्लर के मुताबिक, भारत की कुल तेल आयात जून में 6% घटी, लेकिन रूस से आयात में 8% की वृद्धि दर्ज हुई। अब रूस भारत की कुल तेल आपूर्ति में 40% हिस्सेदारी रखता है। तीन बड़ी रिफाइनरियों ने अकेले ही इस तेल का बड़ा हिस्सा आयात किया, जो G7+ देशों को प्रोसेस्ड प्रोडक्ट भी निर्यात करती हैं।

मध्य पूर्व के पारंपरिक तेल आपूर्तिकर्ताओं से भारत की निर्भरता कम होती जा रही है। जून में भारत ने इराक से 8.93 लाख बैरल प्रतिदिन तेल मंगाया, जो पिछले महीने की तुलना में 17% कम है। सऊदी अरब से लगभग 5.81 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात हुआ, जो लगभग स्थिर रहा। यूएई से आयात 6.5% बढ़कर 4.90 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया।


रूस के बाद भारत का रुझान अमेरिका और ब्राजील की ओर भी बढ़ रहा है। एसऐंडपी ग्लोबल के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में अमेरिका से भारत का कच्चे तेल का आयात 51% बढ़कर 2.71 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया। वहीं ब्राजील से तेल आयात 80% बढ़ा है, जो दर्शाता है कि भारत ओपीईसी से बाहर के देशों की ओर अपना झुकाव बढ़ा रहा है।

भारत की यह रणनीति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है। अमेरिका में नई सरकार के साथ रिश्ते सुधारने और तेल स्रोतों में विविधता लाने की नीति के तहत, अमेरिका और ब्राजील से आयात बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही, भारत रूसी छूट वाली आपूर्ति का भी फायदा उठा रहा है, जिससे रिफाइनिंग कंपनियों की लागत कम होती है।

सीआरईए के अनुसार, जून में चीन ने रूस से 47% तेल खरीदा, जबकि भारत ने 38% हिस्सा लिया। यूरोपीय यूनियन और तुर्की ने क्रमशः 6-6% तेल खरीदा। भारत ने जून में रूस से 4.5 अरब यूरो मूल्य के फॉसिल फ्यूल आयात किए, जिसमें 80% यानी 3.6 अरब यूरो सिर्फ कच्चे तेल के आयात पर खर्च हुए। इससे स्पष्ट है कि भारत अब न केवल रूस का रणनीतिक साझेदार बन चुका है, बल्कि तेल आपूर्ति के वैश्विक मानचित्र में भी अपनी स्थिति को मजबूती से स्थापित कर रहा है।

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