
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने देश भर की जेलों (Prisons) में बढ़ते कट्टरपंथ (Radicalism) को गंभीर चुनौती माना है. इस चुनौती से निपटने के लिए मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों (State) और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र (Letter) भेजे गए हैं. गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में उचित कदम उठाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
कट्टरपंथ की इन चुनौतियों से निपटने के लिए अब गृह मंत्रालय की तरफ से जारी निर्देशों के अनुसार ही कैदियों की स्क्रीनिंग की जाएगी और समय-समय पर उनकी निगरानी भी की जाएगी. संदिग्ध गतिविधियों में शामिल या जोखिम वाले कैदियों के खिलाफ गृह मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक अधिक निगरानी की जाएगी.
दरअसल, जेलों में मौजूद सामाजिक अलगाव और निगरानी की कमी से कट्टरपंथ बढ़ने का खतरा माना जा रहा है. कुछ मामलों में कैदी, जेल कर्मचारियों, अन्य कैदियों और बाहर के लोगों पर हमला करने की योजना बनाते हैं. इसको एक गंभीर चुनौती मानते हुए गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किए हैं.
गृह मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक स्क्रीनिंग में मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य मूल्यांकन भी शामिल किया जाएगा. कट्टरपंथ को रोकने के लिए काउंसलिंग, शिक्षा और पुनर्वास कार्यक्रम पर भी जोर दिया जाएगा. इन सबके अलावा कैदी के जेल से छूटने के बाद भी समाज से फिर से जुड़ने को लेकर फॉलोअप निगरानी सिस्टम के तहत कार्य किया जाएगा.
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