
डेस्क: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल करने का फैसला कर लिया है. इसका मंजूरी राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में मिल गई है. इस बीच केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि नरेंद्र मोदी खुद एक पिछड़े और गरीब परिवार से आते हैं. उनसे बेहतर इसकी अहमियत किसको पता है. जातीय जनगणना एकाएक हुआ निर्णय नहीं था. विगत 11 साल में सबके साथ और सबके विकास की जो योजना चल रही है. उसका लक्ष्य सामाजिक न्याय ही रहा है.
उन्होंने कहा कि पहली बार ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता दी गई. आप वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, लोकसभा और विधानसभा में सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता साफ देख सकते हैं. आगामी जनगणना में पहली बार जातिगत जनगणना के लिए एक पॉलिसी डिसीजन लिया गया है. इसका संकेत गृहमंत्री ने लगभग 1 साल पहले ही दिया था.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गरीब और वंचित का हक देने के लिए प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध हैं. आज देश के हर एक वर्ग से दलगत राजनीति से उठकर स्वागत मिल रहा है. पीएम की दूरदर्शिता के लिए पार्टी और सरकार के तरफ से धन्यवाद है. वहीं, अब कुछ लोग बौखला गए. कहते हैं कि सरकार उनकी है मगर सिस्टम हमारा है.
उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी से पहले जातीय जनगणना हुई थी. 1951 में सरकार और सिस्टम किसके हाथ में था, अगर बापू और बाबा साहब नहीं थे तो आज आरक्षण लागू नहीं होता. पीएम नेहरू आरक्षण विरोधी थे. आज के फर्स्ट फैमिली के हाथ में ही सरकार और सिस्टम था, तब काका साहब कालेलकर के समय क्यों नहीं लागू किया? मंडल कमीशन के रिपोर्ट को 10 साल तक ताला लगाकर किसने रखा, सिस्टम और सरकार किसकी थी?
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वीपी सिंह सरकार ने जब आरक्षण लागू किया तब बीजेपी ने समर्थन किया था, उस समय राजीव गांधी ने गालियां दी थीं. कांग्रेस पार्टी सदैव देश के वांछित, आदिवासी, दलित विरोधी रही है. उन्हें सेंसस और सर्वे के बीच मूल अंतर नहीं मालूम है. एक विषय पर जनजागृति हो चुकी है, जिन्होंने बाबा साहब को भारत रत्न तक नहीं दिया वो आज चैंपियन बनना चाहते हैं. बाबा साहब को भारत रत्न तब मिला जब बीजेपी के सहयोग से वीपी सिंह की सरकार थीं.
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