
नई दिल्ली: भारत (India) के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने बुधवार को संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट (Report) में कहा कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) को वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कोच (Coach) के शौचालयों (Toilets) और वॉश बेसिन (Wash Basins) में पानी (Water) की कमी को लेकर 1 लाख से भी अधिक शिकायतें मिली हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि 33 हजार से अधिक ऐसे मामले में जिसकी समस्या को हल करने में बहुत अधिक समय लगा है. यह ऑडिट रिपोर्ट 2018-19 से 2022-23 तक भारतीय रेलवे में लंबी दूरी की ट्रेनों में स्वच्छता और सफाई को लेकर पूरा विवरण देती है.
कोचों में पानी की उपलब्धता को ऑडिट करते हुए CAG ने बताया कि कोचों में पानी की कमी के बारे में अक्सर शिकायतें मिल रही हैं, जिसमें पानी की कमी या फिर वाटरिंग स्टेशनों पर बिल्कुल पानी न भरे जाने की शिकायतें शामिल हैं.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे बोर्ड ने वाटरिंग स्टेशनों पर क्विक वॉटरिंग अरेंजमेंट (QWA) की व्यवस्था की जाएगी. ऑडिट में पाया गया कि 109 स्टेशनों में से 31 मार्च 2023 तक 81 स्टेशेनों पर QWA की व्यस्था कर दी गई थी. इस बयान में आगे कहा गया है कि मार्च 2023 तक 9 जोन के 28 स्टेशनों पर QWA की स्थापना में दो से चार साल की देरी हुई. जिसका कारण पैसे की कमी, ठेकेदार द्वारा काम की धीमे करना या काम को स्थगित करना शामिल है.
रिपोर्ट में बताया गया कि लंबी दूरी की ट्रेनों में बायो-टॉयलेट की सफाई को लेकर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में बायो-टॉयलेट की सफाई को लेकर संतुष्टि का स्तर कई जोनों में काफी कम पाया गया. सर्वे में 96 चुनिंदा ट्रेनों में 2,426 यात्रियों को शामिल किया गया. जिसमें पाच जोन में 50 प्रतिशत से अधिक लोग संतुष्ट थे, जबकि दो जोन में 10 प्रतिशत से भी कम लोग ऐसे थे जो संतुष्टि हों.
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