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राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने इस पद से दिया इस्तीफा, विधानसभा स्पीकर पर लगाए गंभीर आरोप

May 19, 2025

नई दिल्ली: राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) ने विधानसभा की एस्टीमेट कमेटी के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी (Assembly Speaker Vasudev Devnani) पर मनमानी और पक्षपात का आरोप लगाया है. गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स हैंडल पर अपने इस्तीफे का ऐलान किया. उन्होंने लिखा कि मौजूदा हालात में चुप रहते हुए विधानसभा की एस्टीमेट कमेटी में बने रहना कतई उचित नहीं है. ऐस्टीमेट यानी प्राक्कलन कमेटी से वह इस्तीफा दे रहे हैं.

गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर आगे लिखा, “राजस्थान विधानसभा की प्राक्कलन समिति ‘ख’ के सदस्य पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं. प्रजातंत्र में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की निष्पक्षता सर्वोच्च होती है, लेकिन जब निर्णय पद की गरिमा की विपरित और पक्षपातपूर्ण प्रतीत हों तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है.”


उन्होंने ये भी लिखा, “राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया निर्णय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध एवं पूर्णतः पक्षपातपूर्ण प्रवृत्तियों को उजागर करते हैं. लोकतंत्र के मंदिर में जब निष्पक्षता सवालों के घेरे में हो, तब चुप रहना जनादेश का अपमान होता है. इसलिए इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और मैं प्राक्कलन समिति के सदस्य पद से त्यागपत्र देता हूं.”

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने आगे लिखा, “समितियां सिर्फ सत्ता पक्ष की मोहर नहीं होतीं, इनमें संतुलित संवाद और निगरानी की भूमिका अहम होती है. कांग्रेस विधायक नरेंद्र बुड़ानिया को हाल ही में विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया लेकिन 15 दिन के भीतर उन्हें हटा दिया गया. विधानसभा अध्यक्ष का यह रवैया स्तब्ध करने वाला है, क्योंकि संभवत: ऐसी समितियों के अध्यक्ष न्यूनतम 1 वर्ष के लिए होते हैं.”

गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर लिखा, “यह कोई पहला मौका नहीं है जब पक्षपात निर्णय देखने को मिला हो. हाल ही में हाईकोर्ट ने अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की तीन साल की सज़ा को बरकरार रखा. नियमों के मुताबिक 2 साल से अधिक की सजा होते ही विधायक एवं सांसद जनप्रतिनिधि स्वत: निलंबित माने जाते हैं. लेकिन इस मामले में विपक्ष द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कंवरलाल मीणा की सदस्यता को रद्द नहीं किया गया. विधानसभा अध्यक्ष की यह मनमानी माननीय कोर्ट और संविधान की खुली अवहेलना है.”

आखिर में उन्होंने लिखा, “ऐसे अनेक निर्णय हैं जो विधानसभा अध्यक्ष पर दबाव में काम करने एवं निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं. माननीय अध्यक्ष से अपेक्षा है कि संविधान की शपथ को सर्वोच्च मानकर विधिमान्य न्यायसंगत निर्णय करें जिससे आसन के प्रति आस्था और गहरी बनें.”

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