
जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Former Chief Minister Ashok Gehlot) ने कहा कि सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर (Towards the safety of Sanitation Workers) राजस्थान की भजनलाल सरकार संवेदनहीन है (Rajasthan’s Bhajanlal Government is Insensitive) । गहलोत ने पिछले 10 दिनों में डीग, बीकानेर और जयपुर में सेप्टिक टैंक व गटर सफाई के दौरान हुई 11 मौतों का हवाला देते हुए राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है।
गहलोत का बयान सीधे तौर पर भजन लाल सरकार पर संवेदनहीनता और लापरवाही का आरोप लगाता है। उन्होंने कहा कि “ऐसा लगता है कि राज्य सरकार का सफाई कर्मचारियों की ओर ध्यान नहीं है।” यह टिप्पणी सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करती है और विपक्ष के रूप में कांग्रेस की ओर से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनने की क्षमता रखती है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से राज्य सरकार के बजट में सफाई के लिए मशीनें खरीदने की घोषणा का उल्लेख किया, लेकिन साथ ही यह भी आरोप लगाया कि “अभी तक वह घोषणा कागजों में है।” यह आरोप भजन लाल सरकार की घोषणाओं और उनके कार्यान्वयन के बीच के अंतर को उजागर करता है, जिस पर विपक्ष अक्सर निशाना साधता है।
गहलोत का “आखिर सरकार की नींद कब टूटेगी?” का सवाल सीधे तौर पर सरकार की निष्क्रियता और उदासीनता पर कटाक्ष है, जो राजनीतिक बयानबाजी में एक आम रणनीति है। यह मुद्दा न केवल मानवीय त्रासदी से जुड़ा है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है क्योंकि यह दलित और वंचित वर्ग के लोगों से जुड़ा है, जो अक्सर ऐसे जोखिम भरे कार्यों में लगे होते हैं।
गहलोत का यह बयान सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के मुद्दे को सार्वजनिक पटल पर लाकर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास है। आगामी विधानसभा सत्र या स्थानीय निकाय चुनावों में यह मुद्दा भाजपा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर यह संदेश देना चाहेगी कि वह हाशिए पर पड़े वर्गों के हितों की संरक्षक है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार उनके प्रति उदासीन है।
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