
नागपुर। जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Ramabhadracharya) ने बांग्लादेश (Bangladesh) में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूरे हिंदू समाज से एकजुट होने और अपने अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया है। पड़ोसी देश में हिन्दू युवक दीपू चंद्र दास (Hindu youth Deepu Chandra Das) की ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने और पेड़ से लटकाकर उसे जलाने की बर्बरतापूर्ण हरकत पर रोष जताते हुए रामभद्राचार्य ने कहा कि सभी हिन्दुओं को मिलकर इसका प्रतिकार करना चाहिए।
नागपुर में उन्होंने कहा, “इसकी कठोर प्रतिक्रिया होनी चाहिए और सब हिन्दुओं को मिलकर इसका सामना करना चाहिए। वो लोग इतने नीच हैं कि उनके लिए कुछ कहा ही नहीं जा सकता। अब प्रतिकार के अलावा कोई विकल्प हमारे यहां नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि हमें शांत होकर चुपचाप नहीं बैठना चाहिए, बल्कि मिलकर इसका बर्बरतापूर्ण बदला लेना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर बढ़ते हमलों को लेकर बढ़ती चिंता के बीच आई है, जिस पर पूरे भारत में राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं हो रही हैं।
देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शन
दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या के विरोध में देशभर में हिंदू समर्थक संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को नई दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में लोगों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। बुधवार को पश्चिम बंगाल में भी भारत–बांग्लादेश सीमा के कई भूमि पत्तनों पर एक हिंदू समर्थक संगठन के सदस्यों ने प्रदर्शन किए। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई।
बता दें कि पिछले साल जुलाई में बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के एक धड़े का नेतृत्व करने वाले छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में फिर से हालात बेकाबू हो गए हैं। वहां के युवा फिर से हंगामा कर रहे हैं और हादी के हत्यारों को पकड़ने और सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं। इस बीच कुछ संगठनों ने हादी के हत्यारों के भारत में छिपने का बेबुनियाद आरोप लगाया था, जिसके कारण बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के प्रति नफरत और हमले बढ़ गए हैं। इन्हीं हंगामे के दौरान वहां की एक कपड़ा मिल में काम करने वाले दीपू चंद्र दास की ईशनिंदा के आरोप में पीच-पीटकर हत्या कर दी गई और उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया। इस घटना की दुनियाभर में निंदा हो रही है।

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