
मुंबई। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athawale) ने रविवार को विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें गरबा (Garba) कार्यक्रमों में केवल हिंदुओं (Hindus) को ही प्रवेश देने की बात कही गई थी। रामदास अठावले ने कहा कि यह निर्देश हिंसा (Violence) को बढ़ावा देने जैसा है। नवरात्रि 22 सितंबर से 1 अक्तूबर तक मनाई जाएगी। वीएचपी ने आयोजकों से कहा है कि गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकी जाए और पहचान के लिए आधार कार्ड चेक किया जाए, ताकि लव जिहाद (love Jihad) की घटनाओं को रोका जा सके।
रामदास अठावले ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘वीएचपी कौन होती है यह तय करने वाली कि गरबा में कौन जाएगा और कौन नहीं? यह सलाह कट्टरपंथी तत्वों को हिंसा भड़काने का खुला न्योता है। अगर नवरात्रि के दौरान कहीं भी झगड़े या धार्मिक तनाव होते हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी वीएचपी और उससे जुड़े संगठनों की होगी।’
उन्होंने कहा कि यह कदम भारत की एकता, विविधता और धार्मिक सहिष्णुता पर सीधा हमला है। संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 सभी को समानता और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देते हैं। केंद्रीय मंत्री ने सरकार और प्रशासन से अपील की कि नवरात्रि के दौरान किसी भी तरह के जबरन पहचान जांच या भेदभाव को रोका जाए और सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा, ‘नवरात्रि का असली सार भागीदारी और शांति में है, न कि किसी को बाहर करने में।’
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